प्रेम सम्बन्ध भाग-3

दोस्तों, आप रोजाना बिजली, इन्टरनेट और मोबाइल फ़ोन प्रयोग करते हैं | क्या आपने कभी सोचा कि यह कैसे और कहाँ बनते हैं और कैसे हम तक पहुँचते हैं ? क्या तकनीक इस्तेमाल होती है ? आपको कभी ऐसा सोचने-समझने की जरूरत ही महसूस नहीं हुई | क्योंकि ये और ऐसी बहुत-सी भौतिक इस्तेमाल की तकनीक या वस्तु आपके जीवन का हिस्सा बन गई हैं | और अब तो हम उस युग में पहुँच चुके हैं जहाँ रोज एक नई वस्तु या तकनीक सामने आ जाती है और हम पुरानी को छोड़ नई की ओर बढ़ जाते हैं | ये सब कुछ इस्तेमाल करते हुए धीरे-धीरे हम इनके आदि होते जा रहे हैं | हम अब भौतिक रूप से सोचते-समझते और करते हैं | इसमें भी कोई शक नहीं कि खाली ये ही नहीं कई और भी कारण हैं कि हम अब भौतिकी से आगे बढ़ नहीं रहे हैं और सोच करीब-करीब रुक गई है |

आज हमारे रिश्तों का ये हाल होने में काफी भागेदारी भौतिक विज्ञान और सोच की है | हम प्रेमी और प्रेम को भौतिक वस्त्तु या तकनीक समझने लगे हैं | हम सब कुछ दिमाग से सोचने और करने लगे हैं जबकि रिश्ते और सम्बन्ध दिमाग से नहीं दिल से चलते हैं | यही कारण है कि रिशतों में टूटन बढ़ती ही जा रही है | हमारी सोच कुंठित होती जा रही है | हम क्या सही और क्या गलत है में फैसला ही नहीं कर पाते हैं | भौतिक वस्तु और तकनीक की वजह से हम अकेले होते जा रहे हैं | हमारे सम्बन्ध उस और बढ़ रहे हैं जहाँ सम्बन्ध ही नहीं रहेंगे | रहेंगे तो सिर्फ टाइम पास वाले सम्बन्ध|

खैर, आगे बढ़ते हैं | दोस्तों, बहुत से लोगों को अकेले बैठने पर अजीब-सा महसूस होता है | वह अचानक अपनी बीती जिन्दगी में चले जाते हैं | वह यह सोच कर रो पड़ते हैं या दुःखी हो उठते हैं कि उन्होंने जो कुछ किया या जो कुछ भी उनके साथ हुआ वह गलत था | ज्यादात्तर अपने आप को कोसते हैं कि उन्होंने ऐसा क्यों और कैसे कर दिया | यही सोच उन्हें भविष्य में भी ले जाती है | भविष्य के बारे में सोचते ही उनके आँसू टपकने लगते हैं | मन बोझिल हो जाता है | हो सकता है ऐसा या इसके जैसा कुछ आपके साथ भी हुआ हो या होता है |

बीती जिन्दगी जिस रफ्तार से चल रही है उससे आने वाली जिन्दगी का अंदाजा जब लगाया जाता है तब रोना आना स्वाभाविक है | हर किसी के कुछ सपने या लक्ष्य होते हैं | जब वह पूरे नहीं होते हैं या सपनों या लक्ष्य को किसी के लिए या परिवार के लिए कुर्बान करना पड़ जाता है या किसी को प्यार में धोखा मिलता है | किसी की कद्र घर-परिवार वाले नहीं करते हैं | किसी को बार-बार मेहनत करने के बावजूद भी सफलता नहीं मिलती है | कोई शरीर या बिमारी से परेशान है तो कोई बच्चों या गुजरते समय से | कुछ इसलिए परेशान हैं कि वह जो करना चाहते हैं परिस्थिति उसके बिलकुल विपरीत हैं और वह चाह कर भी कुछ कर नहीं पा रहे हैं | कुछ इसलिए परेशान हैं कि समाज की तो छोड़ो यहाँ तो अपने ही साथ नहीं दे रहे हैं |

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