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जंगल का कानून

अंकित रामू काका के पास बैठते हुए अपने कानों पर हाथ रख कर बोला ‘काका, ये रोज यहाँ से ऐसे ही तेज हॉर्न बजाते हुए निकलते हैं | पता नहीं कोई इन्हें समझाता क्यों नहीं है | कभी ये मोटरसाइकिल तो कभी कार में तेज म्यूजिक लगा कर हॉर्न बजाते हुए निकलते हैं’ | जब वह बच्चे दूर निकल जाते हैं तो रामू काका मुस्कुराते हुए बोले ‘बेटा कुछ लोगों को दूसरे को परेशान करने में मजा आता है | उन को मजा इसलिए भी आता है क्योंकि हम उन्हें कुछ कहते नहीं हैं | हम तो क्या, उनके माँ-बाप भी उन्हें कुछ नहीं कहते हैं | ऐसे बच्चों के माँ-बाप ये नहीं समझते हैं कि इन्हें आज नहीं समझाया तो कल यही बच्चे समाज का सिर-दर्द बन जाएंगे’ |

अंकित अपने चेहरे पर हाथ रखते हुए बहुत ही गंभीर भाव से बोला ‘हाँ, ये बात तो है | यहाँ कोई किसी की नहीं सुनता है | इस देश में कानून नाम की कोई चीज नहीं है | हर तरफ जंगल राज होता जा रहा है’ | अंकित की बात सुन रामू काका की हँसी छूट जाती है | उन्हें हँसता देख अंकित हैरान हो बोला ‘क्या हुआ ? काका आप हँस क्यों रहे हो’ ? रामू काका अपनी हँसी पर काबू पाते हुए बोले ‘अरे भई, तुम्हारा चेहरा देख और बात सुन ऐसा लग रहा था | जैसे तुम किसी की एक्टिंग कर रहे हो’ |

अंकित बहुत भोलेपन से बोला ‘आपको कैसे पता लगा’ | रामू काका मुस्कुराते हुए बोले ‘ये शब्द तुम्हारे हो ही नहीं सकते | जरूर ऐसी किसी बात पर तुम्हारे पापा बोलते होंगे’ | रामू काका की बात सुन अंकित मुस्कुराते हुए बोला ‘हाँ, घर पर जब भी मैं या मम्मी इन लोगो के बारे में कुछ बोलते हैं तो पापा ऐसे ही चेहरे पर हाथ रख कर ये सब कहते हैं’ |

रामू काका मुस्कुराते हुए बोले ‘इस जंगल राज पर मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूँ | एक बार की बात है | सुधीर नाम के आदमी को पेराशूट जंपिंग का बहुत शौक था | एक बार अपने इसी शौक को पूरा करने के लिए उसने हवाई जहाज से छलांग लगाई लेकिन किसी तकनीकी कारण से उसका पेराशूट पूरा नहीं खुल पाया | जंगल बहुत घना था इसी वजह से वह पेड़ो और झाड़ियों से टकराता हुआ जमीन पर जा गिरा | गिरने के कुछ देर बाद जब उसे होश आया तो अपने को जीवित पा कर बहुत खुश हुआ |

वह अभी उठ कर बैठा ही था कि कुछ बन्दर उसके आस-पास आकर ऐसे खड़े हो गये जैसे हम किसी अनजान आदमी को देख कर करते हैं | सुधीर पहले तो डरा लेकिन फिर वह हिम्मत कर उन्हें भगाने के लिए ‘हुर्र-हुर्र’ करने लगा | एक बन्दर जो उनका सरदार लगता था | वह आगे बढ़ कर बोला ‘ये हुर्र-हुर्र किसे कर रहे हो | तुम हमारे इलाके में आये हो न की हम’ | सुधीर को बहुत हैरानी हुई | उसने पहली बार किसी बन्दर को बोलते देखा था | वह अटकते हुए बोला ‘तुम हमारी भाषा कैसे जानते हो’ | वह बन्दर दोनों हाथ फैला कर बोला ‘तुम हमारी भाषा न समझ सकते हो और न बोल सकते हो | लेकिन इस जंगल का हर जानवर तुम्हारी बात समझ भी सकता है और तुम्हारी तरह बोला भी सकता है’ |

सुधीर ने अपने को चिकोटी काट कर देखा कि क्या वह सपना तो नहीं देख रहा है | जब उसे यकीन हो गया कि न तो वह मरा है और न ही सपना देख रहा है तो वह हिम्मत जुटा कर बोला ‘तुम सब इंसानी भाषा कैसे जानते हो’ | वह बन्दर मुस्कुराते हुए बोला ‘हमने सुना है कि कई सौ साल पहले यहाँ भगवान रूपी एक साधु आया था | उसी की कृपा और मेहनत से हम सब यह भाषा बोलना सीख गये हैं’ | सुधीर अपनी कमर को दबाकर करहाते बोला ‘कमाल है | कोई यकीन नहीं कर पायेगा कि ऐसा भी हो…..’, बोल कर वह वहीं बैठ जाता है | उसकी हालत देख एक बंदर बोला ‘लगता है इसकी कमर में बहुत दर्द हो रहा है | सरदार, अगर आपकी इजाजत हो तो हम इन्हें मोनू डॉक्टर के पास ले जाएँ’ | सरदार के ‘हाँ’ में सिर हिलाते ही उन में से कुछ बन्दर पलक झपकते ही जंगल में ओझल हो जाते हैं |

सुधीर कहराते हुए बोला ‘यहाँ डॉक्टर भी है क्या’ ? सरदार बंदर बोला ‘हाँ, मोनू रीछ हमारा डॉक्टर है | वह पुश्तों से डॉक्टरी का काम करता आ रहा है’ | सुधीर अपने कानों पर विश्वास नहीं कर पा रहा था | लेकिन उसके पास विश्वास के करने इलावा कोई और चारा भी नहीं था | वह डरते हुए बोला ‘आपके साथी कहाँ गायब हो गये हैं | कमर में बहुत दर्द हो रहा है’ |

सरदार बंदर मुस्कुराते हुए बोला ‘महाशय आप चिंता न करें | वह स्ट्रेचर लेने गये हैं’ | यह बात सुन कर सुधीर हैरान हो जाता है | वह दर्द से कहराते हुए बोला ‘आप के यहाँ स्ट्रेचर…’ | सरदार बंदर हँसते हुए बोला ‘इसमें हैरानी वाली कौन-सी बात है | जब डॉक्टर है तो स्ट्रेचर भी हो सकता है | हाँ, वह आपकी दुनिया वाला नहीं है | हमारा स्ट्रेचर बॉस का बना है और हम लोग उसे खुद उठाते हैं’ | सुधीर बैठते हुए बोला ‘आपका जंगल तो बहुत शांत है’ |

सरदार बंदर सिर पर हाथ फेरते हुए बोला ‘हाँ, हमारा जंगल तुम्हारे शहर की तरह शोर-गुल वाला नहीं है | तुम लोग जब भी कुछ गलत होता है तो कहते हो कि सब जगह जंगल राज हो गया है | जबकि तुम्हारी ये कहावत तुम लोगों पर ही लागू होती है | हम पर नहीं | हमारे जंगल में कोई कानून नहीं होता है, क्योंकि यहाँ सब जानवर अपनी जिम्मेदारी खुद निभाते हैं | हम जानवर हो कर भी इंसान से अच्छे हैं और तुम लोग इंसान हो कर भी जानवर से बत्तर हो | तुम्हारे यहाँ कानून होने के बावजूद कोई कानून नहीं मानता है | हमारे यहाँ बिना क़ानून के सब व्यवस्थित रूप से चलता है |

हम जानवर, इंसान से लाख दर्जे अच्छे हैं | हमारा राजा शेर भी भूख लगने पर ही शिकार करता है | वह बेवजह किसी पर हमला नहीं करता है | प्रकृति ने उसे बनाया ही नरभक्षी है | जो नरभक्षी नहीं हैं वह कभी किसी का शिकार नहीं करते हैं | लेकिन इंसान कुछ भी कर सकता है | उसे दिमाग क्या मिला है वह खुद को भगवान समझने लगा है | प्रकृति ने सब कुछ दिया है | संतुलन बनाने के लिए भी इंतजाम किया है | लेकिन इंसान सब संतुलन बिगाड़ने में लगा है | आज उसने अपने को मारने के सब इंतजाम कर लिए हैं | बस एक चिंगारी की जरूरत है और पूरी धरती फिर वैसे ही वीरान हो जाएगी जैसे करोड़ो साल पहले थी | कितनी हैरानी की बात है कि तुम लोग फिर अपने आप को इंसान कहते हो और हमें जानवर’, कह कर सरदार चुप कर जाता है |

कुछ बन्दर जैसे ही लकड़ी का स्ट्रेचर लाते हैं | सुधीर चुपचाप उस पर बैठ जाता है | वह सोच रहा था कि सरदार की बातों का उसके पास कोई जवाब नहीं है | लेटे हुए वह सोच रहा था कि कैसे जानवर धीरे-धीरे इंसान बनते जा रहे हैं और इंसान धीरे-धीरे जानवर बनता जा रहा है’, कह कर रामू काका चुप कर जाते हैं |

रामू काका के चुप करते ही अंकित बोला ‘काका आप इतनी बातें और कहानियां आखिर लाते कहाँ से हो’ |

रामू काका हँसते हुए बोले ‘बेटा, मैंने तुम्हें पहले ही बोला था कि मुझे सब पता है | मैं सब जानता हूँ | मुझ से कुछ भी छुपा नहीं है | क्यों, तुम्हें ये कहानी पसंद नहीं आई’ ?

अंकित मुस्कुराते हुए बोला ‘काका आपका जवाब नहीं | आप इंसान नहीं भगवान हो’ |

 रामू काका मुस्कुराते हुए बोले ‘सही पकड़े हैं’, कह कर वह दोनों हँसने लगते हैं |