light, tunnel, silhouette-3920898.jpg

किस्मत- भाग-2

Listen through Podcast : Spotify

हर बार की तरह मैं मेट्रो के दरवाजे के पास ही खड़ा था | मेट्रो स्टेशन पर रुकी तो अंदर आती एक नवयुवती का चेहरा मुझे कुछ जाना पहचाना-सा लगा | मैं अपनी यादशात को अभी टटोल ही रहा था कि मेरे पास खड़े युवक ने जब उसे रेखा नाम से पुकारा तो मेरी ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा | वह वही रेखा थी जिसे मैं कब से तलाश रहा था | लगभग चार-पांच महीने के अंतराल के बाद मैं उनकी बातचीत सुन अपनी अधूरी कहानी को पूरा कर पाया |

रेखा के मना करने के बावजूद शोभना ने प्रवेश पर दबाव डालना शुरू कर दिया कि वह जल्द ही कुछ फ़ैसला करे | प्रवेश पहले तो कुछ दिन शोभना की बात हँस कर टालता रहा लेकिन जब शोभना ने उससे बात करनी बंद कर दी | तब एक दिन शाम को ऑफिस से निकलते हुए प्रवेश ने शोभना को यह बताया कि उसने आज नौकरी छोड़ दी  है | शोभना सुन कर हैरान-परेशान हो जाती है | शोभना की हालत देखकर प्रवेश ने उसे गले लगाते हुए अपना प्लान बताया | उसने बताया कि उसने नौकरी इसलिए छोड़ी है ताकि कल को तुम्हारे घर वालों को किसी तरह का कोई शक न तुम पर और उस पर हो | उसने आगे बताया कि वह अपने अगले कदम में अपने किराए का घर जल्द ही बदल रहा है | उसने बताया कि अगर कल को उसके घरवाले खुदा-न-खास्ता यहाँ तक पहुँच भी गये तो उनके हाथ कुछ नहीं लगेगा | वह बोला कि वो यहाँ से घर बदल कर नई नौकरी की तलाश करेगा और जैसे ही उसे नई नौकरी मिल जाएगी तो फिर वह अपने घरवालों से बातचीत कर इस मुश्किल का हल निकाल ही लेगा | उसने शोभना को फिर से गले लगाते हुए कहा कि वह उससे प्यार करता और करता रहेगा | वह शादी करेगा तो उसी से करेगा | बस उसे कुछ समय चाहिए सब कुछ ठीक करने के लिए |

शोभना यह सुन कर ख़ुशी-ख़ुशी अपने घर को रवाना हो जाती है |  सारी रात वह बार-बार यह सोच कर अपने को कोसती रही कि मैं प्रवेश को कितना गलत समझ रही थी | उसने आगे क्या सोच रखा है यह तो नहीं बताया था लेकिन उसे विश्वास हो गया था कि वह जो भी करेगा सही ही करेगा |

एक हफ्ते से ज्यादा का समय हो गया था लेकिन प्रवेश का फ़ोन नहीं आया | जब शोभना ने फ़ोन पर बात करने की कोशिश की तो उसके फ़ोन की घंटी बजती रही लेकिन उसने फ़ोन नहीं उठाया | अब उसे कुछ शक होने लगा था और डर भी लगने लगा था कि कहीं प्रवेश ने उसे धोखा तो नहीं दे दिया है | यही सोच एक दिन वह उसके पुराने घर पर भी गई तो वहां के मकान मालिक ने बताया कि उसे नहीं मालूम की प्रवेश ने दूसरा घर कहाँ लिया है | अब शोभना के पास सिर्फ प्रवेश के फ़ोन का ही सहारा था | उसने जब दुबारा फ़ोन मिलाया तो उसका फ़ोन स्विच ऑफ था | इसके बाद तो शोभना को लगभग भरोसा हो चला था कि जरूर ही प्रवेश ने उसे धोखा दिया है | वह बार-बार अपने को कोसती जा रही थी कि उस दिन उसने नए घर का पता क्यों नहीं पूछा | कम से कम उससे बात कर के भरोसा तो हो जाता कि वह धोखे बाज है |

इसी उधेड़बुन में एक और हफ्ता गुजर गया | उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वह करे तो क्या करे | इसी बीच एक अनजान नंबर से उसे कई बार फ़ोन आ चुका था लेकिन वह उठा नहीं रही थी | एक दिन परेशान हो उसने उस अनजान नंबर से बात करने की सोची ही थी कि उस नंबर से फिर घंटी बज उठी | उसने फ़ोन उठाया और ‘हेलो’ कहा ही था कि दूसरी तरफ से बोलने वाले ने अपना परिचय देते हुए बोलना शुरू किया तो जैसे-जैसे वह सुनती जा रही थी वैसे-वैसे उसका चेहरा ख़ुशी से चमकता जा रहा था | फ़ोन रख कर वह ख़ुशी से झूम उठी लेकिन दूसरे ही पल वह दुःखी हो फिर से अपने बेड पर बैठ कर यादों में खो जाती है |

शोभना को फ़ोन उसके मंगेतर नितिन का आया था | उसने शोभना को बताया कि मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है | और आप जैसी लड़की किसी को भी मिलेगी वह अपने आप को बहुत सौभाग्यशाली समझेगा | लेकिन मेरी परेशानी आप या आपका परिवार नहीं है | मैं असल में किसी और से प्यार करता हूँ | लेकिन वह रिश्ता मेरे परिवार वालों को मंजूर नहीं है | अब मैंने बहुत सोच-समझ कर फ़ैसला किया है कि मैं अपनी और आपकी ज़िन्दगी अपने परिवार वालों की हठधर्मी की भेंट नहीं चढ़ने दूंगा | मैं शायद कभी आप को अपना न पाऊं और साथ ही साथ अपने प्यार को धोखा भी न दे पाऊंगा | मैंने सब इन्तजाम कर लिया है और मैं कल अपने प्यार के साथ जा रहा हूँ | यह बात मैं कल रात को मुंबई वाली ट्रेन में बैठने के बाद अपने घर वालों को बताऊंगा | मैं आपको पहले बताना चाहता था ताकि आप यह न समझें कि मैंने आपको धोखा दिया है | आप मेरी मजबूरी समझ सकती हैं | यह कह कर नितिन ने शोभना से कई बार माफ़ी मांगी | शोभना ने फ़ोन रखते हुए नितिन से कहा कि नहीं, नहीं, आपने जो भी फैसला लिया है वह हम तीनो के लिए ही अच्छा है | जिससे भी आपने वादा किया है वह आप निभा रहे हैं, मुझे आप पर गर्व है | फ़ोन रख कर शोभना पहले तो खुश हुई लेकिन दूसरे ही पल यह सोच कर उदास हो जाती है कि प्रवेश का भी तो कोई अता-पता नहीं है|

अगले दिन जब नितिन के घर से नितिन के बारे में खबर आई तो शोभना के घर में मानो भूचाल-सा आ गया था | सब परेशान थे सिर्फ शोभना ही खुश थी | घर वाले यह फैसला नहीं कर पा रहे थे कि अब समाज को क्या मुंह दिखाएंगे | कौन अब उनकी बेटी से शादी करेगा | मौके का फ़ायदा उठा शोभना ने सबके सामने बोल ही दिया कि बड़ी शान से आप मुझे अनजान जगह भेड़ रहे थे देख लिया नतीजा | अगर वह दबाव में मुझ से शादी कर भी लेता तो मेरी और उसकी दोनों की जिन्दगी खराब सिर्फ आप दोनों परिवार वालों की हठधर्मी के कारण हो जाती | यह अच्छा हुआ कि उसने यह फैसला शादी से पहले ले लिया | काश मैं भी ऐसा कर पाती | यह सब बोल कर वह अपने कमरे में आ जाती है |

शोभना उस रात सो नहीं पाती है | उसकी सारी रात करवटें बदलने में ही निकल जाती है | वह इस शादी से तो बच निकली थी लेकिन उसके प्यार ने ही उसे धोखा दे दिया था | बीस दिन हो गए थे प्रवेश को गायब हुए | उसका कोई पता नहीं था कि वह कहाँ है और क्या कर रहा है | शोभना को प्रवेश से की आखिरी बातें बार-बार याद आ रही थीं | प्रवेश का उस दिन का चेहरा बार-बार याद आ रहा था | प्रवेश उसे धोखा नहीं दे सकता | जरूर उसके साथ कुछ न कुछ हुआ होगा | उसका प्यार गलत नहीं हो सकता | लेकिन अब वह क्या करे | जब सुबह हो गई तो वह अनमने भाव से उठी और तैयार हो ऑफिस जाने के लिए निकलने ही लगी थी कि उसकी माँ ने उसे बात करने के लिए अपने पास बिठा लिया | माँ ने उसे अपने पास बैठा बहुत प्यार से  कहा कि सब अपने किए पर पछता रहे हैं | और सबने मिलकर यही फैसला किया है कि वह उस लड़के से उसकी शादी करने के लिए तैयार हैं जिसे वह चाहती है | यह सुन कर शोभना और भी परेशान हो जाती है जब उसे कुछ नहीं सूझता है तो वह यह कह कर कि वह सोचेगी, घर से निकल जाती है |