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अहंकारी तीरंदाज

‘काका मैं कब से आपका इन्तजार कर रहा हूँ | आप तो कह रहे थे कि आप शाम पाँच बजे मंदिर खोलने आते हैं | मैं पाँच बजे आया था | मंदिर तो खुला हुआ था लेकिन आप कहीं नहीं दिखे’, काका को आते देख अंकित गुस्से से बोला |

रामू काका हँसते हुए बोले ‘बेटा, तुमने ध्यान नहीं दिया | मैं राम की मूर्ति के पीछे ही लेटा हुआ था | आज दोपहर से ही सिर में दर्द हो रहा था | अब छोड़ो इस बात को और बताओ कि शाम पाँच बजे कैसे आये थे | उस समय तो तुम ट्यूशन जाते हो’ |

अंकित हैरान होते हुए बोला ‘आप को कैसे पता कि उस समय मैं ट्यूशन जाता हूँ’ | रामू काका हँसते हुए बोले ‘मैंने बोला तो था कि मुझे सब पता है’ | अंकित हैरान-परेशान हो बोला ‘ऐसे-कैसे आप को सब पता लग जाता है | आप भगवान हो या भूत हो’ | रामू काका हँसते हुए बोले ‘भूत, दिन में थोड़े होते हैं | वो तो रात को आते हैं | बाकि मेरी शक्ल देख कर तुम्हें लगता है कि मेरे जैसा बुढ्ढा भगवान् हो सकता है’ |

अंकित अटकते हुए बोला ‘फिर….आ…प..को सब कैसे पता लग जाता है | आपको मेरे बारे में पता है या सबके बारे में पता है’ | रामू काका बात बदलते हुए बोले ‘अरे यार, तुम भी…. अब छोड़ो इस बात को और ये बताओ कि तुम कैसे आये थे’ | अंकित सकपकाते हुए बोला ‘मैं पापा से नाराज हूँ | हर रोज वादा करते हैं लेकिन उन्होंने अभी तक मुझे एक अच्छा-सा बैट लाकर नहीं दिया है’ |

रामू काका हँसते हुए बोले ‘बस इतनी-सी बात | आओ यहाँ बैठो’ | अंकित गुस्से में पैर पटक कर बैठते हुए बोला ‘हाँ, बोलो’ |

रामू काका मुस्कुराते हुए बोले ‘मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूँ | पुराने ज़माने की बात है | एक नवयुवक आस-पास के गाँव में आयोजित होने वाली कई तीरंदाजी की कई प्रतियोगिताएं जीतने बाद अपने आप को बहुत बड़ा तीरंदाज समझने लगा था | उसके घमंड को देख एक दिन उसकी माँ ने कहा कि बेटा पास के राज्य में तीरंदाजी की एक प्रतियोगिता हो रही है | तुम उस प्रतियोगिता में भाग क्यों नहीं लेते | मैंने सुना है कि वहाँ के राजा ने ऐलान किया कि प्रतियोगिता जीतने वाले को ईनाम में बहुत सारा धन और सेनापति का पद दिया जाएगा | यह सुन वह नवयुवक अपना सीना तान कर बोला ‘हाँ, हाँ, क्यों नहीं | देखना मैं ही जीत कर आऊंगा’ |

वह नवयुवक अगले ही दिन उस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए उस राज्य की ओर निकल पड़ा | उसने प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और वहाँ शामिल होने वाले सब प्रतियोगियों को हरा दिया | राजा ने ख़ुश होकर उसे ईनाम में कुछ धन देकर कहा कि तुम बहुत अच्छे तीरंदाज हो | वह युवक इतराते हुए बोला ‘राजन, मैंने यहाँ आने वाले सब प्रतियोगीयों को हरा दिया है फिर भी….’ | उस राज्य का राजा बहुत समझदार था | वह समझ गया कि नवयुवक अपने कौशल के घमंड में सब कुछ भूल चुका है | राजा मुस्कुराते हुए बोला ‘तुम अच्छे तीरंदाज हो लेकिन इतने अच्छे नहीं कि तुम्हें सेनापति का पद दिया जा सके | हाँ, अगर फिर भी तुम मानते हो कि तुम बहुत अच्छे तीरंदाज हो तो हमारे राज्य की सीमा के पास हमारे गुरूजी रहते हैं | अगर उन्होंने तुम्हें इस लायक माना या तुम उन से तीरंदाजी में जीत गये तो हम अवश्य तुम्हें अपना सेनापति बना देंगे |

एक बार फिर अपना सीना चौड़ा कर वह नवयुवक राज्य की सीमा की ओर चल दिया | राज्य की सीमा समाप्त होने से कुछ पहले ही एक घना जंगल था और उस जंगल के बीच कई ऊंची पहाड़ियाँ थी | वह नवयुवक यह नजारा देख कर बहुत हैरान हुआ कि इस जंगली और पर्वतीय क्षेत्र में इतने बड़े राज्य का गुरु रहता है | यही सोचते हुए वह आगे बढ़ ही रहा था कि उसे एक पहाड़ी में गुफा दिखी जिस में से धुआ निकल रहा था | वह समझ गया कि हो न हो राज्य का गुरु इसी गुफा में रहता होगा |

जब वह गुफा के अंदर पहुँचा तो उसने देखा कि गुफा में कई जगह अग्नि जल रही थी | एक तरफ खाना बनाने का सामान रखा था और दूसरी तरफ एक ऊँचे मचान पर एक बुढा आदमी आँख बंद किये बैठा था | युवक ने चारों तरफ नजर दौड़ाई लेकिन उसे कहीं कोई हथियार या तीर-कमान नहीं दिखा | वह सोचने लगा कि इस घने जंगल में बिना हथियार कोई कैसे रह सकता है | और राजा ने तो कहा था कि…., अचानक वह बुजुर्ग आदमी मचान से नीचे उतरते हुए बोला ‘आओ नवयुवक, तुम तो काफी अच्छे तीरंदाज लगते हो | कई तरह के तीर-कमान लिए घूम रहे हो | लगता है हमारे राज्य में आयोजित प्रतियोगिता जीत कर आ रहे हो’ |

वह नवयुवक हैरान था कि जंगल में बैठे इस आदमी को कैसे पता लगा कि मैं प्रतियोगिता जीत कर आ रहा हूँ | वह कुछ और सोच पाता इससे पहले ही वह बुजुर्ग बोला ‘मुझ से तीरंदाजी सीखने आये हो या मुकाबला करने आये हो’ | उसकी बात सुन वह नवयुवक मुस्कुराते हुए बोला ‘आप मेरे साथ क्या मुकाबला करेंगे | आपके पास तो मुकाबला करने लायक कुछ है ही नहीं’ | वह बुजुर्ग आदमी हँसते हुए बोला ‘आओ बाहर चल कर बात करते हैं’ | वह नवयुवक अनमने भाव से ‘हाँ’ में सिर हिला देता है |

बाहर आकर वह बुजुर्ग उस नवयुवक से बोला ‘तुम वो सामने की पहाड़ी देख रहे हो | उस पर दौड़ते हुए चढ़ो और उसकी चोटी पर पहुँच कर एक पैर से खड़े हो कर दिखाओ तो जाने कि तुम कुछ कर सकते हो’ | नवयुवक को बात पसंद तो नहीं आई लेकिन वह यह सोच कर चल दिया कि मैं चोटी तक पहुँच पाऊं या न पाऊं लेकिन ये तो आधे तक भी न जा पायेगा |

नवयुवक ने पहाड़ी पर चढ़ने की काफी कोशिश की लेकिन वह चढ़ नहीं पाया | पहाड़ी पर चढ़ना काफी मुश्किल था | एक तो सीधी चढ़ाई थी और पत्थर भी काफी चिकने थे | थक हार कर वह वापिस आ गया | वापिस आकर, अपने कपड़े झाड़ते हुए बोला ‘इसका तीरंदाजी से क्या सम्बन्ध था और आपने मुझे चढ़ने को तो ऐसे बोल दिया जैसे आप तो भागते हुए ऊपर पहुँच जाएंगे…’ |

वह नवयुवक कुछ और बोल पाता इससे पहले ही वह बुजुर्ग उस पहाड़ी की और चल देता है | वह कुछ ही पल में भागते हुए चोटी पर पहुँच कर एक पैर पर खड़ा हो जाता है | कुछ देर चोटी पर खड़ा हो कर वह पल भर में ही नीचे उतर आता है | वह नवयुवक के पास आकर बोला ‘बेटा, तुम इस मुकाबले में तो फेल हो गये | खैर, अब ऊपर आसमान में देखो चार पक्षी उड़ रहे हैं | इन्हें एक तीर से मार गिराओ तो जानें’ | युवक हैरान-परेशान हो बोला ‘एक तीर से चार पक्षी कैसे मारे जा सकते हैं | आप बेतुकी बातें क्यों कर रहे हैं’ |

वह बुजुर्ग हँसते हुए बोला ‘इसका मतलब तुम नहीं कर सकते’, कह कर वह नवयुवक को देखता है | उसे असमंजस की स्थिति में खड़ा देख वह फिर बोला ‘देखो मैं कर के दिखाता हूँ’, कह कर वह उन चारों पक्षियों को देखने लगता है | कुछ ही पल में वह चारों पक्षी जमीन पर आ गिरते हैं | वह नवयुवक हैरान था | वह कुछ भी सोच-समझ नहीं पा रहा था |

उसकी मनःस्थिति भांपते हुए वह बुजुर्ग बोला ‘बेटा, तीरंदाजी के लिए सिर्फ अच्छे और बढ़िया तीर और कमान ही होना जरूरी नहीं हैं | तीरंदाजी के लिए सबसे जरूरी है, तुम्हारा अपने लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करना | जाओ पहले ध्यान सीख कर आओ फिर तीरंदाजी का मुकाबला करना | किसी भी कला में महारत हासिल करने वाले को किसी उपकरण की जरूरत नहीं होती | जो भी उपकरण उसे दिया जाए वह उसी से अपनी कला दिखा सकता है’ | उस नवयुवक को अपनी गलती का एहसास हो जाता है | वह उस बुजुर्ग के पाँव पर गिर कर माफ़ी मांगने लगता है’, कह कर रामू काका अंकित के सिर हाथ फेरते हुए बोले ‘कुछ समझे’ |

अंकित उठते हुए बोला ‘काका, आपने बहुत अच्छी कहानी सुनाई | मैं सब समझ गया | अब मैं पहले अपने खेल पर ध्यान दूंगा | खेल, खेलने की कला में निपूर्ण होना ज्यादा जरूरी है | लेकिन आप ऐसी कहानियाँ कहाँ से लाते हैं’ | रामू काका हँसते हुए बोले ‘मैं फिर बताऊंगा | अभी काफी देर हो गई है | घर पर तुम्हारी माँ परेशान होगी | जाओ, जल्दी से घर जाओ’ | अंकित अनमने दिल से उठ कर घर की ओर चल देता है |