हर सपने, हर अपने में हो तुम
हर सोच, हर मौज में हो तुम
मगर मुझे न ढूंड पाओगे तुम |
हर सांस, हर धड़कन में हो तुम
हर जगह, हर दिशा में हो तुम
मगर मुझे न ढूंड पाओगे तुम |
हर सूरत, हर मूरत में हो तुम
हर अक्ष, हर लक्ष्य में हो तुम
मगर मुझे न ढूंड पाओगे तुम |
हर सुर, हर ताल में हो तुम
हर गीत, हर संगीत में हो तुम
मगर मुझे न ढूंड पाओगे तुम |
तपती धूप में ठंडी छाँव हो तुम
कड़कती ठंड में अलाव हो तुम
मगर मुझे न ढूंड पाओगे तुम |
मेरी भक्ति, मेरी शक्ति हो तुम
मेरा अंग, मेरे संग हो तुम
मगर मुझे न ढूंड पाओगे तुम |
मेरी आशा, मेरा विश्वास हो तुम
मेरा कर्म, मेरा धर्म हो तुम
मगर मुझे न ढूंड पाओगे तुम |
मेरा मान, मेरा अभिमान हो तुम
मेरा प्यार, मेरा संसार हो तुम
मगर मुझे न ढूंड पाओगे तुम |
तुम में ऐसा घुल-मिल गया हूँ
मैं, मैं छोड़ बन गया हूँ तुम
अब मुझे न ढूंड पाओगे तुम |