बाल साहित्य
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जंगल का कानून
अंकित रामू काका के पास बैठते हुए अपने कानों पर हाथ रख कर बोला ‘काका, ये रोज यहाँ से ऐसे ही तेज हॉर्न बजाते हुए निकलते हैं | पता नहीं कोई इन्हें समझाता क्यों नहीं है | कभी ये मोटरसाइकिल..
आगे पढ़ें ..........मिट्ठू
अंकित घास को पैर से ठोकर मारते हुए चल रहा था कि अचानक वह पास से आती रामू काका की आवाज सुन ठिठक कर रुक जाता है | रामू काका उसके पास आते हुए बोले ‘क्या बात है..
आगे पढ़ें ..........बरगद की चुड़ैल
पार्क में घुसते ही अंकित की नजर पार्क के बीचो-बीच लगे पानी के नल पर पड़ती है | काफी देर से पानी बहने के कारण वहाँ कीचड़ को देख वह ठिठक कर रुक जाता है | वह नल तक..
आगे पढ़ें ..........घर का कैदी
अंकित अपने पापा के साथ बैठा टीवी देख रहा था | उसके काफी कहने के बावजूद पापा कार्टून नहीं लगा रहे थे | पापा बार-बार कह रहे थे कि बस ये समाचार देख लूँ फिर तुम कार्टून लगा लेना..
आगे पढ़ें ..........अहंकारी तीरंदाज
‘काका मैं कब से आपका इन्तजार कर रहा हूँ | आप तो कह रहे थे कि आप शाम पाँच बजे मंदिर खोलने आते हैं | मैं पाँच बजे आया था | मंदिर तो खुला हुआ था लेकिन आप कहीं नहीं..
आगे पढ़ें ..........रामू काका
अंकित मुँह लटकाये आकर बस में बैठ जाता है | वह जब भी उदास होता तो बस की आखिरी सीट पर ही आकर बैठ जाया करता था | उसके स्कूल की बस में ज्यादा छात्र नहीं होते थे | इसीलिए..
आगे पढ़ें ..........धरती माँ
माँ की आवाज सुन अंकित बोझिल मन से उठ कर कमरे से बाहर निकलते हुए बोला ‘जी माँ, बोलिए’| अंकित की आवाज सुन माँ ख़ुश होते हुए बोली ‘बेटा, क्या बात है आज तुम बहुत देर से उठे हो |..
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