अंकित मुँह लटकाये आकर बस में बैठ जाता है | वह जब भी उदास होता तो बस की आखिरी सीट पर ही आकर बैठ जाया करता था | उसके स्कूल की बस में ज्यादा छात्र नहीं होते थे | इसीलिए बस की आखिरी सीट ज्यादात्तर खाली ही होती थी | स्कूल से घर पहुँचने में बस को लगभग तीस से चालीस मिन्ट लगते थे | जिन बच्चों के घर जल्दी आ जाते थे | वो ज्यादात्तर मस्ती करते हुए ही जाते थे | लेकिन जिनके घर दूर होते वो ज्यादात्तर कुछ देर बात-चीत कर सो जाते थे |
अंकित की ऑंखें भी कुछ देर बाहर देखते-देखते बंद हो जाती हैं | अचानक अंकित को लगा जैसे उसके हाथ पर कोई हाथ रख कर दबा रहा है | उसका कोई दोस्त होगा ये सोच वह मुस्कुराते हुए आँख खोल कर देखता है | उसके पास की सीट पर एक बुजुर्ग सफ़ेद साफा और सफ़ेद धोती-कुर्ता पहने बैठा उसे देख मुस्कुरा रहा था | अंकित ठिठक कर सीधे बैठते हुए बोला ‘आप….’ | वह कुछ ओर बोल पाता इससे पहले ही वह बुजुर्ग उसे शांत रहने का इशारा कर धीमे स्वर में बोले ‘बेटा सब सो रहे हैं | धीमे बोलो | मैं नहीं चाहता कोई हमारी बातें सुन उठ जाए | वैसे तुम्हारे सवालों का जवाब में तुम्हारे पूछने से पहले ही दे देता हूँ | मेरा नाम ‘अंकल’ नहीं है | सब मुझे रामू काका कह के बुलाते हैं | तुम भी मुझे रामू काका कह कर बुला सकते हो | मैं तुम्हारे बस ड्राईवर को जानता हूँ | जब कभी मैं इधर आता हूँ तब वह मुझे मेरे घर के पास छोड़ देता है | अब तुम पूछोगे कि तुमने पहले तो मुझे कभी इस बस में नहीं देखा | तुम्हारा ये ड्राईवर भी तो इस रूट पर नया है और वैसे ही मैं भी | तुम परेशान और दुखी लग रहे थे इसलिए मैं तुम्हारे पास आकर बैठ गया | वैसे मैं तुम्हारे घर के पास ही रहता हूँ | मैंने तो तुम्हें कई बार देखा है लेकिन तुमने मुझे कभी नहीं देखा’ |
अंकित हैरान होते हुए बोला ‘आप कहाँ रहते हैं’ | रामू काका मुस्कुराते हुए बोले ‘जिस रोड पर तुम्हें बस छोड़ती है’ | अंकित धीमे स्वर में बोला ‘वहाँ तो कोई घर नहीं है | मुझे तो बस, पार्क के साथ वाली रोड पर छोड़ती है’ | रामू काका हँसते हुए बोले ‘मैं उसी पार्क के अंदर बने मंदिर के पीछे वाली झोपड़ी में रहता हूँ’ |
‘मैं तो सो रहा था | फिर आपको कैसे पता लगा कि मैं दुखी हूँ’, अंकित रामू काका को देखते हुए बोला | रामू काका मुस्कुराते हुए बोले ‘मैं सब जानता हूँ | मैं तो ये भी जानता हूँ कि पहले तुम्हारा एक दोस्त बीमारी के कारण स्कूल नहीं आ पा रहा था लेकिन अब तुम्हारा दूसरा दोस्त भी बीमार हो गया है | वह भी आज स्कूल नहीं आया है | आज दिन भर तुम उदास रहे | तुम्हें उदासी से ज्यादा ये परेशानी सता रही है कि अगले हफ्ते से परीक्षा शुरू होने वाली है | अगर वे बीमारी के कारण परीक्षा नहीं दे….’ |
अंकित हैरान होते हुए बोला ‘आपको ये सब कैसे पता है’ | रामू काका हाथ उठा कर ऊपर देखते हुए बोले ‘हम सब जानते हैं’, कह वह अंकित को देखते हुए बोले ‘मैं मजाक कर रहा था | वो तो मैं सुबह उस बस से आया था जिस में तुम्हारे वो दोनों दोस्त आते हैं | उस बस के बच्चे आपस में बात कर रहे थे’ | अंकित मुस्कुराते हुए बोला ‘मेरे दोनों दोस्त हैं ही इतने अच्छे’ |
रामू काका गंभीर स्वर में बोले ‘वो दोनों तुम्हारे अच्छे दोस्त नहीं हैं | अच्छे दोस्त वो होते हैं जो अपने दोस्त को आगे बढ़ायें | वो तुम्हें कभी क्रिकेट खेलने को कहते हैं तो कभी मोबाइल पर गेम या व्हाटसएप पर बातें करने को भड़काते हैं | तुम्हें उनकी दोस्ती छोड़ देनी….’ | अंकित बीच में ही बात काटते हुए बोला ‘काका आप भी माँ की तरह बात कर रहे हैं | इसमें उनका क्या फायदा ? मैं क्रिकेट अच्छा खेलता हूँ इसीलिए वो मुझे कहते हैं | मोबाइल पर वो भी तो गेम खेलते हैं’ |
रामू काका मुस्कुराते हुए बोले ‘तुम क्रिकेट अच्छा खेलते हो | इसमें कोई शक नहीं है | लेकिन ये समय पढ़ाई का है | वो सिर्फ़ इसलिए कर रहे हैं ताकि तुम्हारे अच्छे नंबर न आयें | उनकी माँ हमेशा तुम्हारी तारीफ करती है बस इसीलिए वो दोनों तुमसे जलते हैं | ऐसे दोस्त अच्छे नहीं……’ | एक बार फिर अंकित बीच में ही बात काटते हुए बोला ‘मैं फिर किस से बात करूँ | उनके इलावा मेरा कोई और दोस्त ही नहीं है’ |
रामू काका हँसते हुए बोले ‘मैं हूँ न | आज से तुम मुझे अपना दोस्त बना लो’ | अंकित जोर से हँसते हुए बोला ‘आप तो मेरे दादा की उम्र के हैं | मैं आपको कैसे अपना दोस्त बना सकता हूँ’ | रामू काका हैरान होते हुए बोले ‘ये बात सही है कि मैं तुम्हारे दादा की उम्र का हूँ | लेकिन फिर भी मेरा दिल बच्चा है जी | मैं सब तरह की बात कर सकता हूँ | पढ़ाई से लेकर खेल तक | मुझे सब पता है और यहाँ तक की व्हाटसएप, यूटूब, इन्सटाग्राम और पबजी सब आते हैं’ | अबकि बार अंकित हैरान होते हुए बोला ‘क्या बात कर रहे हो….सब….’ |
‘अब तो मैं तुम्हारा दोस्त बन सकता हूँ’ |
‘लेकिन प्लीज अम्मा-बापू की तरह…..’ |
रामू काका हँसते हुए बोले ‘बिलकुल नहीं | मैं उनकी तरह तुम्हें कोई लेक्चर नहीं दूँगा | लेकिन अच्छे दोस्त की तरह सलाह जरूर दूँगा | अब तुम्हारे पर है, मानो या न मानो | खैर दोस्त, तुम्हारा स्टैंड आ गया है’ |
अंकित हैरान होते हुए बोला ‘आपने तो बोला था कि….’ |
‘नहीं मुझे आज आगे जाना | जल्दी आगे जाओ | फिर मिलते हैं’, कह कर रामू काका एक तरफ हट जाते हैं और अंकित अनमने मन से आगे बढ़ जाता है |