ज्योतिष, ब्रह्मज्ञान है जिसके जरिए आप पिछले जन्म में किए गये कर्म का फल जो इस जन्म में प्राप्त होगा वह बताता है | हमारी राय में जब ज्योतिष कर्म-फल बताता है तो किसी भी तरह का कोई भी उपाय उस फल को बदल नहीं सकता | उपाय से न तो आप अच्छे को और अच्छा कर सकते हैं और न ही आप बुरे प्रभाव को रोक सकते हैं | हाँ, यह जरूर है कि उपाय से आपको लड़ने की हिम्मत अवश्य मिलती है | लेख में मेख केवल और केवल ईश्वर कर सकता है | वह कुछ भी कर सकता है |
ज्योतिष का हमारे रोजमर्रा के जीवन पर प्रभाव :
सूर्य एक राशि में एक महिना और 12 महीने में धरती पूरा चक्कर लगाता है | इसीलिए कुंडली के 12 भाव या घर होते हैं और वर्ष के 12 महीने |
सात ग्रह और हफ्ते के सात दिन |
12 राशि को गुणा करो 9 ग्रह(राहू केतू समेत) से तो 108 मनके की माला बनती है |
12 राशि और 27 नक्षत्र को जमा करने पर 39 दिन बनते हैं तभी 40 दिन का चिलिया और लाल-किताब का उपाय होता है |
12 राशि को गुणा करो 7 ग्रह (राहू केतू के बिना) से 84 आता है तभी तो 84 लाख योनी भोगने की बात कही जाती है और ज्योतिष में 12 राशि और 7 ग्रह के लगभग 84 लाख combination बनते हैं |
मकर संक्रांति – हर साल 14 या 15 जनवरी को होती है क्योंकि इस दिन ही सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है |
बृहस्पति लगभग 12 साल में सूर्य का एक चक्कर पूरा करता है | और 12 साल बाद जब बृहस्पति दुबारा कुंभ राशि में प्रवेश करता है और सूर्य उस साल जब मेष राशि यानि 14/15 अप्रेल को प्रवेश करता है तब पूर्ण कुंभ का मेला लगता है |
आपने साढ़े सती के बारे में ज्योतिषियों से बहुत सुना होगा | आइए हम बताते हैं कि साढ़े सती कहते किसे हैं : आपकी पत्री या जन्म कुंडली में चन्द्र कुंडली भी बनी होती है | नहीं भी बनी हो तो बनानी बहुत आसान है चन्द्र को पहले घर में रख कर वही नंबर लिख देने हैं | अर्थात जिस राशि में चन्द्र आपके जन्म के समय था | मान लीजिये जहाँ चन्द्र लिखा उस घर पर 5 नम्बर लिखा तो आपने चन्द्र को पहले घर में लिख कर 5 नंबर उस घर में लिख कर 12 घर में नंबर लिख देने हैं और जो ग्रह जिस नंबर पर है वैसे ही लिखने पर आपकी चन्द्र कुंडली बन जायेगी |
शनि के बारे में पहले भी बताया गया है कि वह एक राशि में लगभग 2.5 साल रहता है इसे ही ढईया कहते हैं और जब वह तीन राशि में रहता है तो इसे ही साढ़े सती कहते हैं | वर्तमान में जब शनि चन्द्र से एक राशि पहले यानि उपरोक्त उदाहरण के अनुसार चौथी राशि में प्रवेश करेगा तो शनि की साढ़े सती शुरू होगी और जब वह छठी राशि से निकल जाएगा तो साढ़े सती समाप्त मानी जाएगी | यानि जब वर्तमान में वह 4, 5 और छठी राशि में होगा तो साढ़े सती मानी जाएगी |
जैसा कि पहले भी बताया गया है कि शनि लगभग 30 साल में 12 राशि का चक्कर पूरा करता है और उस में से यदि 7.5 साल आप निकाल दें तो कुल 22.5 साल में किस की जिन्दगी में बदलाव या ऊँच-नीच नहीं आती है | यदि आज की औसत उम्र 80 साल भी मान लें तो उसमें साढ़े सती कम से कम दो और ज्यादा से ज्यादा तीन बार आ सकती है | आप खुद ही समझ गये होंगे कि 80 साल में दो से तीन बार के बदलाव क्या मायने रखते हैं |
साढ़े सती के बारे में बहुत डराया जाता है जब कि हमारी निजी राय में लगभग तीस से चालीस प्रतिशत पर ही इसका बुरा प्रभाव पड़ता है बाकि के लिए थोड़ा बुरा और थोड़ा अच्छा या अच्छा या बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है | यह ग्रह दशा पर निर्भर करता है | शनि के लिए कहा जाता है कि वह केवल बुरा ग्रह है जबकि हमारी राय में शनि इन्साफ करने वाला और अच्छा ग्रह भी है | बृहस्पति और शनि ही आपको योग के सारे आयाम यानि शरीरिक योग, ध्यान योग, भक्ति योग के इलावा तन्त्र-मन्त्र में सफलता दिलाते हैं | और इन दोनों ग्रह में से शनि का योगदान लगभग ज्यादा होता है | शारीरिक योग में जरूर बृहस्पति का योगदान ज्यादा होता है |
आपने मांगलिक शब्द बहुत सुना होगा | मंगल ग्रह जब 1, 2, 4, 7, 8 या 12वें घर में होता है तो उसे मांगलिक कहते हैं | मंगल के साथ या सामने चन्द्र होता है तो उसे मंगल दोष माना जाता है लेकिन इन सब में जातक की शादी 70 से 80 प्रतिशत मामलों में 28 साल की उम्र के बाद ही होती है या करनी चाहिए |
आइये ज्योतिष के कुछ सामान्य नियम समझते हैं | इससे आप भी कुंडली या पत्री देख सकते हैं |
आप यदि किसी ज्योतिषी को अपनी कुंडली दिखाएँ और अपनी जन्म तिथि या साल या महिना न भी बताएं तो भी वह आपको आपके जन्म का साल, महिना लगभग सही बता सकता है और तिथि का लगभग सही अंदाजा लगा सकता है | और अगर आप कुंडली न भी दिखाएँ और उसे सूर्य, चन्द्र, बृहस्पति और शनि किस घर में हैं यह बता दें तो भी वह पता कर सकता है कि आपकी जन्म तिथि क्या होगी |
दोस्तों, ऐसा बताना कोई राकेट साइंस नहीं है | यह अगर आप भी थोड़ी-सी कोशिश करेंगे तो पता लगा सकते हैं |
आपको ग्रह चाल के बारे में पता होना चाहिए | आपको ग्रह कब वक्री होते हैं इसका अंदाजा होना चाहिए | इन दो बातों से ही आप भी लगभग सही बता सकते हैं | अच्छे प्रोफेशनल ज्योतिषीयों को यह याद होता है | उन्हें तो लग्न का समय भी याद होता है जिससे वह लगभग आपके पैदा होने का समय तक बता देते हैं | कुछ दिन की मेहनत से आप भी ऐसा कर सकते हैं | क्योंकि पत्री या कुंडली एस्ट्रोनॉमी पर आधारित है और ग्रह चाल फिक्स है | बस आपको ग्रह के वक्री होने के समय का ध्यान रखना है |
दोस्तों, अगले भाग में आपको कुंडली कैसे पढ़ी जाती है या उपरोक्त अंदाजा कैसे लगाया जाता है यह बताएँगे |