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मुझे न ढूंड पाओगे तुम…..


 

हर सपने, हर अपने में हो तुम

हर सोच, हर मौज में हो तुम

मगर मुझे न ढूंड पाओगे तुम |

हर सांस, हर धड़कन में हो तुम

हर जगह, हर दिशा में हो तुम

मगर मुझे न ढूंड पाओगे तुम |

हर सूरत, हर मूरत में हो तुम

हर अक्ष, हर लक्ष्य में हो तुम

मगर मुझे न ढूंड पाओगे तुम |

हर सुर, हर ताल में हो तुम

हर गीत, हर संगीत में हो तुम

मगर मुझे न ढूंड पाओगे तुम |

तपती धूप में ठंडी छाँव हो तुम

कड़कती ठंड में अलाव हो तुम

मगर मुझे न ढूंड पाओगे तुम |

मेरी भक्ति, मेरी शक्ति हो तुम

मेरा अंग, मेरे संग हो तुम

मगर मुझे न ढूंड पाओगे तुम |

मेरी आशा, मेरा विश्वास हो तुम

मेरा कर्म, मेरा धर्म हो तुम

मगर मुझे न ढूंड पाओगे तुम |

मेरा मान, मेरा अभिमान हो तुम

मेरा प्यार, मेरा संसार हो तुम

मगर मुझे न ढूंड पाओगे तुम |

तुम में ऐसा घुल-मिल गया हूँ

मैं, मैं छोड़ बन गया हूँ तुम

अब मुझे न ढूंड पाओगे तुम |