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एक अधूरी कहानी भाग-1


 

सोनाक्षी ने कॉलेज से घर आकर जब माँ से बोला कि वो कॉलेज की तरफ से शिमला घूमने जाना चाहती है तो माँ ने यह कह कर उसकी बात टाल दी कि `पापा से पूछ लो वह अगर जाने को कहते हैं तो चली जाना | वो `हाँ’ कर देते हैं तो मुझे कोई एतराज नहीं है’ | सोनाक्षी के लिए वह चार घंटे चार दिन के बराबर थे | पापा जब आये तो वह चाह कर भी उनसे बात नहीं कर पाई | वह अंतर्मन से यह भी जानती थी कि यदि उसने बात नहीं भी की तो माँ अवश्य ही उन्हें बता देगी | वह इन्तजार कर रही थी कि माँ ही यह बात कर ले तो अच्छा रहेगा |

रात के खाने पर जब वह अपने कमरे से नीचे बैठक में खाना खाने के लिए आई तो माँ, पापा को पहले ही खाना परोस चुकी थीं | जब वह खाना खाने के लिए पापा के सामने टेबल पर बैठी तो रोज की तरह पापा ने उसे मुस्कुरा कर नहीं देखा था | तब उसे लगा कि शायद पापा की मर्जी नहीं है | वह दस मिन्ट उसे बहुत लम्बे लग रहे थे | किसी तरह उसने अपना खाना खाया और जैसे ही उठने लगी तो पापा बोले `मेरी महारानी कॉलेज की तरफ से कहाँ घूमने जा रही है’ | यह सुनते ही वह वहीं धम्म से बैठ जाती है और खुश होते हुए बोली `मतलब माँ ने आपको सब कुछ बता दिया है’ | पापा मुस्कुराते हुए बोले `तेरी माँ है | तुझे क्या लगता है कि इतनी देर वो कोई बात पचा सकती है’ | `हाँ ये बात तो है | आप क्या कहते हैं फिर मैं जाऊं’, सोनाक्षी ख़ुश होते हुए बोली | पापा कुछ देर चुप रह कर मुस्कुराते हुए बोले `ठीक है लेकिन अपना ध्यान रखना और फ़ोन करती रहना’ |

सोनाक्षी को लग रहा था जैसे उसे जन्नत मिल गई हो | वह जल्दी से उठती है और पापा के गले लग कर कूदती हुई अपने कमरे में आकर जल्दी से अपनी दोस्त रूही हो फ़ोन मिलाती है | रूही उसकी बात सुन कर ख़ुश होते हुए बोली कि उसके मम्मी-पापा ने भी `हाँ’ कर दी है | यह सुन कर सोनाक्षी ख़ुशी से झूम उठती है | रूही से बात कर सोनाक्षी आँख बंद कर शिमला के सपने संजोने लगती है |

दो दिन बाद रूही, सोनाक्षी के साथ बिस्तर पर लेटते हुए बोली `सोनू तुझे आज क्या हो गया था | पूरे सफ़र में दिव्या मैडम के पास क्यों बैठी रही | यहाँ आने का सारा मजा ही खराब कर दिया’ | सोनाक्षी हँसते हुए बोली `अबे यार मैडम से मिलने और बात करने का समय ही कहाँ मिलता है | आज खाली थी और मैडम भी अच्छे मूड में थी बस इसीलिए | और मैंने तेरा मजा कैसे खराब कर दिया’ |

रूही सोनाक्षी से चिपकते हुए बोली `अबे यार, हम यहाँ मौज-मस्ती करने आये हैं या यहाँ भी कॉलेज की पढ़ाई की बाते करने आये हैं | तूने आज बहुत कुछ मिस कर दिया है | मैंने तो बस…..आज……….’, वह अलग हो कर लेटते हुए बोली | सोनाक्षी हैरान होते हुए बोली `अब आगे भी बोलेगी या फिर मैं लात मार कर तुझे इस ठंड में बिस्तर से नीचे गिरा दूँ’ |

रूही सोनाक्षी से एक बार फिर से चिपकते हुए बोली `मैडम जी आप तो दिव्या मैडम से बात करने में मस्त थीं | आप ने रास्ते भर उन लड़कों को हमारी बस के आगे-पीछे अपनी गाड़ी में चलते हुए नहीं देखा | वो चार लड़के थे | मुझे तो एक बहुत ही मस्त लगा | तुझे याद हैं न जब रास्ते में हम लोग खाना खाने के लिए रुके थे तो वो लोग भी वहीं रुके | एक लड़का जो नीली शर्ट पहने था बार-बार मुझे देख रहा था | यार वो लोग भी यहाँ घूमने आये हैं | बस….. कल जब हम घूमने निकलें……… तो वो मुझे मिल जाए | मैं खुद ही जा कर उसे प्रोपोस कर दूंगी’ |

सोनाक्षी हँसते हुए बोली `तू अभी जा कर क्यों नहीं प्रोपोस कर देती| सुबह का क्यों इन्तजार कर रही है’ |

रूही ठंडी आह भरते हुए बोली `अभी कैसे कर सकती हूँ | इतना बड़ा शिमला है | वो पता नहीं कहाँ ठहरे होंगे’| सोनाक्षी बैठते हुए बोली `नीली शर्ट वाला ठीक ही था लेकिन मुझे तो काली शर्ट वाला ज्यादा ठीक लगा’ | सोनाक्षी की बात सुन रूही हैरान हो कर बैठते हुए बोली `हाँ एक काली शर्ट वाला लड़का भी था| लेकिन तुझे कैसे पता लगा’, कह कर वह सोनाक्षी को चिकोटी काटते हुए बोली `बड़ी चालू है | इसका मतलब तेरी नजर सब जगह पर थी | और मैं सोचे बैठी थी कि तू मैडम के साथ बातों में मस्त है’ |

सोनाक्षी, रूही के सिर पर हाथ फेरते हुए बोली `मैडम जी मुझे तो इससे आगे भी पता है……’| वह कुछ और बोल पाती इससे पहले ही रूही सोनाक्षी का हाथ पकड़ कर बोली `क्या पता है | बोल न इससे आगे तुझे क्या पता है | मतलब…..मतलब तू ये जानती है कि वो लोग कहाँ ठहरे हैं | बता न, बता न प्लीज्’, कह कर वह सोनाक्षी को अपनी ओर खींचने लगती है | सोनाक्षी उसकी बात सुन कर अपनी जुबान निकाल उसे चिढ़ाते हुए बोली `जी’ |

`मैं बता दूंगी लेकिन पहले तू वादा कर कि अभी तू कोई भी बेवकूफी नहीं करेगी | जो भी करना है हम सुबह मौका मिलते ही करेंगे | वैसे भी वो लोग अभी दारु पी रहे हैं’ |

रूही हैरान हो अपने सिर पर हाथ फेरते हुए बोली `यार मैं तो तुझे अभी तक पहचान ही नहीं पाई | अंदर खाते तो तू बहुत ऊँची चीज है | सब मुझे तेज कहते हैं क्योंकि मैं मुँह फट हूँ | लेकिन यार………….तू…… तो मेरी भी माँ निकली | मतलब तुझे सब पता है | वैसे तुझे इतना सब कैसे पता है | बता न, बता न……….’, कह कर वह सोनाक्षी को गुदगुदी करने लगती है | रूही को मालूम था कि सोनाक्षी को कमर में गुदगुदी करने पर वह सहन नहीं कर पाती है | उसे ऐसा करते देख सोनाक्षी हँसते हुए उठ खड़ी होती है और बचने के लिए रूही से दूर जा कर खड़ी हो जाती है | रूही उसे दूर खड़ा देख एक बार फिर उसके पास आ कर उसे गुदगुदी करने लगती है |

सोनाक्षी अपने को बचाते हुए खिड़की के पास आकर खड़ी हो जाती है | वह अपनी हँसी रोकते हुए बोली `यहाँ आ कर मर और देख ले वो लोग बगल वाले होटल में सामने ही बैठे हैं’ | यह सुन कर रूही भाग कर खिड़की के पास आ जाती है| वह देखती है कि उसकी पसंद का लड़का हाथ में गिलास लिए झूम रहा था और सोनाक्षी की पसंद का लड़का गिटार बजा रहा था | बाकि दोनों लड़के बिस्तर पर बैठे कुछ गा रहे थे | ये दृश्य देख रूही ख़ुशी से झूमते हुए सोनाक्षी को अपने बाहुपाश में जकड़ कर उसके गाल पर एक चुम्बन अंकित करते हुए बोली `यार तू तो बहुत ऊँची चीज निकली | क्या बात है यार, क्या बात है | चल हम भी उनकी पार्टी में शामिल हो जाते हैं’ |

सोनाक्षी, रूही को खींच कर बिस्तर पर बैठाते हुए बोली `पागल है क्या ? न जान न पहचान और चली है उनसे इस समय मिलने के लिए | तू तो सचमुच एक दम पागल है | माना कि वो दोनों लड़के अच्छे लग रहे हैं और ये भी माना कि उनको और उनके सलीके को देख कर अंदाजा लगता है कि वो लोग जरूर किसी अच्छे घर से होंगे | लेकिन उनके बाकि साथी तो उठाई गिरे लगते हैं | ऐसे में हमें बहुत सम्भल कर चलना होगा’ |

रूही मुस्कुराते हुए बोली `बेबी तू इतना क्यों सोचती है | और पगली तू क्या समझी थी कि मैं सचमुच वहाँ चली जाउंगी | इधर आ मेरे पास बैठ’, कह कर वह उसका हाथ पकड़ कर अपने पास बैठाते हुए बोली `मैडम जी हम यहाँ तीन दिन हैं | और उनकी आज की हरकत देख कर तो लगता है कि वो लोग कल भी हमारे आस-पास ही रहेंगे | ऐसे में हमें कुछ करने की जरूरत नहीं है | जो करना है वो सोचेंगे और करेंगे | अगर हमारा उनका कुछ लिखा है तो जरूर कुछ न कुछ होगा’ |

रूही की बात सुन सोनाक्षी मुस्कुरा कर बोली `यार तूने अपनी इमेज बहुत गन्दी बना रखी है | लेकिन तेरा ये रूप देख कर तो लगता है कि तू ऐसी है नहीं जैसी तू दिखाती है’ | रूही सोनाक्षी को लेटने का इशारा करते हुए बोली `आज के जमाने में ऐसी इमेज ही होनी चाहिए | सब ये समझते हैं कि मैं बिना सोचे-समझे कुछ भी करती हूँ या कर सकती हूँ | जबकि असल जिन्दगी में मैं ऐसा कुछ नहीं करती हूँ | खैर अब सो जा | मेरे बारे में फिर कभी सोच लेना अभी तो उनके सपने संजो’, कह कर रूही लेट कर रजाई ओढ़ लेती है |