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हिना और सना अंतिम भाग

सुबह जानी-पहचानी आवाज सुन वह जल्दी से उठ बैठा | आँखें पोंछते हुए उसने देखा कि उसके दोनों बेटे आँखों में आंसू लिए बिस्तर के दोनों ओर बैठे थे | पहले तो उसे यकीन ही नहीं हुआ फिर जब दोनों बेटों ने उसके पैरों को हाथ लगाया तो उसे यकीन हुआ कि वह कोई सपना नहीं हकीकत देख रहा है | उसने जल्दी से पलट कर सुधीर की ओर देखा वह अभी भी उसी अंदाज से सोया हुआ था | उसने दोनों बेटों को इशारे से समझाते हुए कहा कि उसका साथी सो रहा है इसलिए बाहर चलो वहीं चल कर बात करते हैं |

बाहर आते ही दोनों बेटे महिंदर सिंह के कदमों में गिर जाते हैं | कुछ हिम्मत कर बड़ा बेटा सिसकियाँ लेते हुए बोला ‘पापा हमें माफ़ कर दीजिए | हम से गलती हो गई है | हम ने आपके प्यार को नहीं पहचाना और न ही बेटे होने का फर्ज निभाया | हमने सिर्फ़ अपनी ज़िन्दगी और भविष्य को देखा | हमने आपके और माँ के बारे में कभी सोचा ही नहीं | हमें माफ़ कर दीजिए | हम से बहुत बड़ी गलती हो गई | ईश्वर तो शायद ही हमें माफ़ करेगा | लेकिन आपने माफ़ कर दिया तो वही हमारे लिए बहुत है’ |

महिंदर सिंह को यह समझ नहीं आ रहा था कि उसके बेटों में अचानक ऐसा परिवर्तन कैसे आ गया | फिर कुछ सोच उसने दोनों बेटों को उठाया और अपने गले से लगाते हुए बोला ‘मेरी पोतियाँ कहाँ हैं’ |

छोटा बेटा कुछ सकपकाते हुए बोला ‘चलिए हम आपको उनसे मिलवा देते हैं’ | यह सुन कर महिंदर सिंह ख़ुश होते हुए बोला ‘कहाँ हैं’, कह वह इधर-उधर देखने लगा | ‘नहीं पापा वह साथ नहीं आई हैं | वह आपको बुला रही हैं’, बड़ा बेटा धीरे से बोला |

‘उन्हें साथ क्यों नहीं…..’ | बड़ा बेटा बीच में ही बात काटते हुए बोला ‘पापा वह दोनों आपको बहुत याद करती हैं | वह आपको बुला रही थीं | आप चलिए हमारे साथ’ |

यह सुन छोटा बेटा बोला ‘आप चलिए हमारे साथ वहीं मिल लीजिएगा | वह आपको देख कर बहुत ख़ुश होंगी’| ‘ठीक है लेकिन बेटा मुझे नहा-धो कर कपड़े तो बदलने दो’| छोटा बेटा बोला ‘पापा यह सब आप वहाँ ही कर लेना’ |

महिंदर सिंह हँसते हुए बोला ‘बेटा बस दस मिन्ट लगेंगे | मैं यूँ गया और यूँ आया’, कह कर वह उन दोनों को बिना देखे ही चल देता है | गाड़ी अस्पताल के अंदर दाख़िल होते देख महिंदर सिंह परेशान होते हुए बोला ‘क्या बात है सब कुछ ठीक तो है | तुम मुझे यहाँ क्यों लाए हो’ |

बड़ा बेटा महिंदर सिंह के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला ‘पापा आप परेशान न हों | अब सब कुछ ठीक है’| ‘मतलब पहले नहीं था | क्या हुआ है मेरी पोतियों को’ |

छोटा बेटा बोला ‘पापा हम यहीं पास के होटल में कल शाम आए थे | बस देर रात घूमने निकले तो एक टेम्पो सड़क पार करते हुए दोनों बच्चों को टक्कर मार गया था | चोट लग तो हल्की रही थी लेकिन वो दोनों जब बेहोश हो गईं तो हमें यहाँ लाना पड़ा’ |

यह सुन महिंदर सिंह के माथे पर पसीना आ जाता है और दिल की धड़कन बढ़ जाती है | वह चाह कर भी कुछ बोल नहीं पाता है | उसकी हालत देखते हुए बड़े बेटे ने महिंदर सिंह का हाथ पकड़ कर दबाते हुए बोला ‘पापा अब चिंता की कोई बात नहीं है | उन्हें आज सुबह ही होश आ गया है और उनकी सारी रिपोर्ट भी ठीक हैं | डॉक्टर ने बोला कि वह डर के कारण बेहोश हो गई थीं | उन दोनों ने होश में आते ही सबसे पहले आपका ही नाम लिया था और हम से बोला कि दादू को जल्दी से ले कर आओ नहीं तो हम आप लोगों से नहीं बोलेंगे’ |

महिंदर सिंह कुछ बोल पाता इससे पहले ही कार आकर अस्पताल के गेट पर रुक जाती है | साथ बैठा बड़ा बेटा दरवाज़ा खोल कर बाहर निकल कर हाथ पकड़ महिंदर सिंह को बाहर निकालता है | बाहर निकल कर महिंदर सिंह बैचैन होते हुए बोला ‘सच बताओ कि सब कुछ ठीक है न’ ? छोटा बेटा कार से बाहर निकल कर महिंदर सिंह के पास आकर हँस कर बोला ‘हाँ पापा सब कुछ बिलकुल ठीक है | आप परेशान न हो’ | यह सुन कर महिंदर सिंह आशस्वत हो बेटों के साथ अस्पताल का दरवाज़ा खोल अंदर की ओर चल पड़ता है|

कमरे में प्रवेश करते ही दोनों बहूँ जोकि अपनी बेटियों के पास बिस्तर पर बैठी थीं लगभग कूद कर महिंदर सिंह के पाँव में गिर पड़ती हैं | बड़ी बहु रोते हुए बोली ‘पापा हमें माफ़ कर दीजिये | हमारी बेटियों ने हमारी आँखें खोल दी …….’, अभी वह कुछ और बोल पाती कि छोटी पोती जिसके सिर पर पट्टी बंधी थी और आँखें थोड़ी-सी सूजी हुयीं थी | आँख खोल कर धीरे से बोली ‘दादू’ |

महिंदर सिंह दोनों बहुओं को लगभग झटके से हटाते हुए तेज कदम से जा कर अपनी छोटी पोती से गले लग रो पड़ता है | दोनों कुछ देर ऐसे ही बैठे रहते हैं फिर अलग होते हुए अपनी आँखें पोंछते हुए पोती के सिर पर हाथ फेरते हुए बोला ‘ये क्या कर लिया’ | छोटी पोती सना कुछ बोल पाती इससे पहले ही साथ के बिस्तर पर लेटी बड़ी पोती हिना बोली ‘आप से मिलने और सदा आपके साथ रहने का इससे अच्छा बहाना क्या हो सकता था’ | महिंदर सिंह हिना के सिर पर हाथ फेरते हुए बोला ‘नहीं बेटा ऐसे नहीं बोलते | भगवान् न करे अगर तुम्हें कुछ हो जाता……’| हिना रोते हुए बोली ‘दादू अगर हो जाता तो और भी अच्छा होता | कम से कम इन लोगों को यह तो पता लगता कि औलाद के बिछुड़ने का गम क्या होता…’ | महिंदर सिंह भर्राए स्वर में बोला ‘नहीं बेटा ऐसे नहीं बोलते’ |

बड़ी बहु सिसकी भरते हुए बोली ‘पापा इसे बोलने दीजिये हम इसी लायक हैं | पापा अगर ये यहाँ न आती या इसके साथ ऐसा न होता तो शायद हम ज़िन्दगी भर समझ ही न पाते कि हम क्या कर रहे हैं | आज सुबह जब इसे होश आया तो मैंने बोला बेटा तुमने तो हमारी जान ही निकाल दी थी | अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो हम क्या करते | तो पापा इसने जो बोला उसने हमारे आँखें ही खोल दी | यह बोली कि आपकी चार घंटे में जान निकल गई और दादा-दादी से आप लोग पन्द्रह साल से दूर हैं सोचो उनका क्या हाल होगा | इसी गम में दादी चली गई और आप लोग सोचते हो कि जो आप लोगों ने अपने माँ-बाप के साथ किया उसके बदले में आपके साथ अब अच्छा ही होगा | कभी नहीं हो सकता…’ कह कर बड़ी बहु फूट-फूट कर रोने लगी |

महिंदर सिंह रोते हुए हिना को सीने से लगा लेता है और यह देख दोनों बेटे और बहुएं भी सिसकते हुए महिंदर सिंह के गले लग जातीं हैं |
दरवाजे पर खड़े डॉक्टर की आँखों में भी आँसू आ जाते हैं | वह वहीं खड़ा सोचता है कि बेटी ने कितनी सही बात कही है | हम लोग सोचते हैं कि हम अपने माँ-बाप के साथ कितना भी बुरा करें हमारी औलाद नहीं करेगी | क्यों नहीं करेगी | वह भी वही करेगी जो हमने किया है | जो बोयेंगे वही तो काटेंगे | कुछ सोचते हैं कि हमारे माँ-बाप हमें समझ नहीं पाते हैं उनकी और हमारी पीढ़ी या जनरेशन में बहुत फर्क है तो हमारे साथ भी तो यही होगा | हमारी और हमारी औलाद की पीढ़ी या जनरेशन में भी उतना ही फर्क होगा जो हमारे माँ-बाप में था | सोचते हुए वह एक लम्बी साँस लेता है और धीरे से दरवाज़ा बंद कर बाहर निकल जाता है |

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