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एक अधूरी कहानी भाग-2

वह दोनों सुबह बाहर का नजारा देख कर ख़ुशी से झूम उठती हैं | बाहर चारों तरफ़ बर्फ की सफ़ेद चादर बिछी हुई थी | अचानक रूही को रात की बात याद आती है | वह अपने कमरे की बाएँ ओर बनी खिड़की की तरफ भाग कर जाती है | वह साथ के होटल की खिड़की में खड़े उन दोनों लड़कों को देख कर ख़ुशी से झूम उठती है | वह दोनों लड़के उसे देख कर इस तरह खुश होते हैं जैसे वह उसका ही इन्तजार कर रहे थे | रूही को उस ओर खड़ा मुस्कुराते देख सोनाक्षी समझ जाती है कि रूही के दिल की मुराद सुबह-सुबह पूरी हो गई है | सोनाक्षी, रूही के पास न जा कर कमरे का दरवाज़ा खोल कर बाहर निकल जाती है | रूही कमरे का दरवाज़ा खुलने और हवा के ठंडे झोंके आने पर अन्दर की ओर देखती है | सोनाक्षी को अन्दर न देख कर वह समझ जाती है कि वह जरूर नीचे गई होगी | वह उन दोनों को नीचे आने का इशारा कर जल्दी से बेड के पास पड़े अपने शाल को अच्छे से लपेट कर कमरे से बाहर निकल जाती है |

सोनाक्षी को नीचे जाते देख, वह भी जल्दी से सीढ़ियाँ उतरने लगती है | सोनाक्षी के पास पहुँच कर वह उसे बताती है कि उसने उन दोनों को नीचे आने का इशारा किया है | यह सुन कर सोनाक्षी नाराज हो जाती है | वह उसे डांटती है कि उसने रात को ही उसे समझाया था कि वह अपनी ओर से कोई भी बेवकूफ़ी न करे | लेकिन रूही उसकी बात को दरकिनार करते हुए उसे खींचते हुए होटल से बाहर ले आती है | बाहर वह दोनों लड़के पहले से ही खड़े उन दोनों के आने का इन्तजार कर रहे थे | सोनाक्षी कुछ कह पाती इससे पहले ही रूही सोनाक्षी का हाथ छोड़ जल्दी से अपनी पसंद के लड़के के पास जा कर उससे हाथ मिला कर अपना परिचय देने लगती है | उन दोनों को बात करते देख सोनाक्षी की पसंद का लड़का आगे बढ़ कर सोनाक्षी से `हेलो’ बोल अपना हाथ आगे बढ़ा देता है | सोनाक्षी न चाहते हुए भी मुस्कुरा कर अपना हाथ आगे बढ़ा देती है |

अहान और अंश से कुछ ही देर बात कर सोनाक्षी और रूही को ऐसा लगने लगा था जैसे वह उनको सदियों से जानती हैं | उन दोनों का बेबाक और अपनेपन से बात करने का अंदाज ही कुछ ऐसा था कि वह दोनों उनकी तरफ खिंचती चली गईं | दो दिन में वह लोग कई बार मिले और हर बार मिलने पर उन्हें ऐसा लगता जैसे वह नजदीक और नजदीक आते जा रहे हैं | दो दिन दो पल में गुजर गए |

जब से वह लोग शिमला आये थे | रोज रात का खाना खाने के बाद रिज पर घूमने जरूर जाते थे | आज भी जब कॉलेज की सब लड़कियाँ घूमने के लिए होटल से बाहर निकलीं तो सोनाक्षी और रूही भी उनके साथ चल दीं | कुछ ही दूर जाकर रूही पेट में दर्द का बहाना बना कर जैसे ही वापिस होटल की ओर चली तो सोनाक्षी भी टीचर को बोल कर उसके साथ चल दी | होटल के पास पहुँच कर वह दोनों अपने होटल में जाने की बजाय साथ के होटल में घुस जाती हैं | रिसेप्शन पर रखे सोफ़े पर बैठे अहान और अंश उनका पहले से ही इन्तजार कर रहे थे | उन्हें अंदर आता देख अंश बोला `आप लोगों ने बहुत देर कर दी | देखिये हमने आपके लिए कॉफ़ी मंगवाई थी | आपके इन्तजार में वह भी रूठ कर ठंडी हो गई है’ |

रूही चुटकी लेते हुए बोली `आप लोगों के होते हुए उसकी इतनी हिम्मत कैसे हुई’ | अहान हँसते हुए बोला `मैडम हम ठहरे शरीफ़ आदमी | हमारी कौन सुनता है’ | सोनाक्षी मुस्कुराते हुए बोली `आप लोग बोल कर तो देखिये | सब सुनते हैं | बस अपनी बात मनवाना आना चाहिए | वो गर्मजोशी होनी चाहिए’ | अहान मुस्कुराते हुए बोला `लगता है हम लोग जवानी में ही बूढ़े हो चुके हैं’ | यह सुन कर सोनाक्षी हँसते हुए बोली `हाँ, लगता तो कुछ ऐसा ही है’ | यह सुन कर सब हँसने लगते हैं |

अहान बात बदलते हुए सोनाक्षी को देख कर बोला `मैडम जी, प्लीज कुछ अपने बारे में बताइए’ | अहान का गंभीर चेहरा देख सोनाक्षी मुस्कुराते हुए बोली `आपने सही पकड़ा है | मैं भी अभी यही सोच रही थी | हम दो दिन से मिल रहे हैं और हर तरह की बात कर रहे हैं | लेकिन हम लोग अभी तक एक दूसरे के बारे में कुछ नहीं जानते हैं | चलिए, मैं ही पहले शुरुआत करती हूँ | मेरा नाम….’, कह कर वह अपने बारे में बताना शुरू करती है | और इसके बाद तीनो एक-एक कर अपने बारे में बताने लगते हैं | आखिर में रूही अपने बारे में बता ही रही थी कि दूर से हल्का-सा शोर सुन खड़े होते हुए बोली `सोनू लगता है सब वापिस आ रहे हैं | जल्दी से उठ | उन्होंने देख लिया तो मुश्किल हो जाएगी’ | अहान और अंश कुछ बोल पाते इससे पहले ही वह दोनों तेज क़दमों से होटल से बाहर निकल जाती हैं |

हाँफते हुए रूही दरवाज़ा बंद कर जल्दी से आकर बेड पर लेट जाती है | सोनाक्षी बोली `लाइट तो जला | बेवकूफ कपड़े नहीं बदलने क्या’ ? रूही उसके मुँह पर हाथ रखते हुए बोली `गधी, मैं बिमार हूँ और अभी थोड़ा-सा आराम मिला है इसलिए सो रही हूँ’ | सोनाक्षी अपने सिर पर हाथ मारते हुए बोली `अबे यार मैं तो भूल ही गई थी | ठीक है तू मुँह रजाई के अंदर कर ले | मैडम आ ही रही …’, वह अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाई थी कि दरवाज़ा खड़कने के साथ ही मैडम की आवाज सुनाई पड़ती है | सोनाक्षी जल्दी से उठ कर दरवाज़ा खोलती है | मैडम अंदर झाँकते हुए बोली `रूही अब ठीक है’ | सोनाक्षी धीरे से बोली `जी मैडम, अब ठीक है | अभी थोड़ी देर पहले ही उसकी आँख लगी है’ |

यह सुनकर मैडम भी धीमी आवाज में बोली `ओह ! शुक्र है | मुझे चिंता हो रही थी | ठीक है बेटा | तुम भी अब सो जाओ’, कह कर वह चली जाती है | उसके जाते ही सोनाक्षी दरवाज़ा बंद कर भाग कर आती है और रूही पर आकर लेट जाती है | रूही छटपटाते हुए बोली `मोटी मेरी साँस घुम हो रही है’, कह कर वह उसे धक्का दे उठकर बैठ जाती है |

सोनाक्षी बिस्तर से उठते हुए बोली `तेरा प्लान तो अच्छा था | उन लोगों से बात-चीत भी हो गई और हम पकड़े भी नहीं गए’ | रूही हाथ फैलाते हुए बोली `बच्चे मेरे साथ रहेगी तो ऐसे ही ऐश करेगी’ | सोनाक्षी उसका कान पकड़ते हुए बोली `ये तो सब ठीक है | और ये सब ठीक ही निकला कि वह दोनों जैसा हम सोचते थे वैसे ही निकले | लेकिन यार वो मुंबई में रहते हैं और हम दिल्ली में | ये बहुत गड़बड़ है’ | रूही सोनाक्षी के कंधे पर हाथ रखते हुए बोली `डार्लिंग आज के कंप्यूटर के युग में ये दूरी भी कोई दूरी है | हाँ, जब हमारा बहुत दिल करेगा तो बुला लेंगे उन दोनों को | और देखना वो भागे चले आयेंगे’ |

सोनाक्षी रूही के कंधे पर हाथ रख कर उसे अपने साथ लेटाते हुए बोली `बेवकूफ़ लड़की एक बात तो हम करना ही भूल गये’ | रूही लेट कर सोनाक्षी को अपनी ओर खींचते हुए बोली `अब क्या बात रह गई’ | सोनाक्षी रजाई ओढ़ते हुए बोली `न तो उनका फ़ोन नंबर लिया और न ही उनका फेसबुक का ईडी….’ | रूही बीच में ही बात काटते हुए बोली `मैडम हमने परसों जाना है | अभी कल का दिन बाकी है | चिंता क्यों करती है | मैं हूँ न, कल करेंगे जुगाड़ | अब सो जा’, कह कर रूही पासा पलट कर लेट जाती है | सोनाक्षी कुछ देर तो रूही के बोलने का इन्तजार करती है | लेकिन जब वह कुछ नहीं बोलती है तो सोनाक्षी भी पासा पलट कर आँख बंद कर लेती है |