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घर का कैदी


 

अंकित अपने पापा के साथ बैठा टीवी देख रहा था | उसके काफी कहने के बावजूद पापा कार्टून नहीं लगा रहे थे | पापा बार-बार कह रहे थे कि बस ये समाचार देख लूँ फिर तुम कार्टून लगा लेना | अंकित एक ही समाचार बार-बार देख कर परेशान हो चुका था | उसे समाचार देखते पापा का चिंतित चेहरा देख अंदर ही अंदर डर लगने लगता था | शायद इसीलिए वह समाचार देखना नहीं चाहता था |
अंकित, रसोई में काम करती माँ से जाकर लिपट जाता है | माँ चिल्ला कर बोली ‘क्या कर रहा है | मेरी टांगो से क्यों लिपट रहा है | देख नहीं रहा है कि मैं रोटी बना रही हूँ’ | माँ के बोलने के बावजूद भी जब अंकित टस से मस नहीं हुआ तो माँ ने काम करते हुए अंकित को गुस्से से देखा | अंकित की आँखों में आँसू देख वह हैरान हो जाती है | वह झटपट गैस बंद कर वहीं पैर के बल बैठ कर अंकित को अपने सीने से लगा कर बोली ‘क्या हुआ पगले | तू रो क्यों रहा है | पापा ने डांटा है क्या | अच्छा उन्होंने तुझे टीवी नहीं देखने दिया होगा’ |
अंकित की आँखों से आँसू झर-झर बह रहे थे | माँ ने उसे ऐसे रोते कभी नहीं देखा था | वह परेशान हो एक बार फिर उसे अपने गले से लगा लेती है | रोते हुए अंकित की हिचकी बंध गई थी | माँ जल्दी से उठ कर पानी का गिलास ले अंकित को थामते हुए बोली ‘क्या हुआ मेरे बच्चे | ऐसे क्यों रो रहा है | हुआ क्या है कुछ तो बोल’ | पानी का एक घूट भर अंकित रुंधे गले से बोला ‘माँ, क्या हम सब मर जाएंगे | आप लोग मर गये तो मेरा क्या होगा’ |
अंकित के बोलते ही माँ सब समझ जाती है | वह मुस्कुराते हुए बोली ‘ऐसा कुछ नहीं है बेटा | ये टीवी वाले बात को बढ़ा-चढ़ा कर बोलते हैं’ | अंकित थोड़ा पानी पी कर माँ को गिलास थमाते हुए बोला ‘मैं रोज टीवी पर सुनता हूँ | और आप भी तो कल नानी को फ़ोन पर कह रहे थे कि अब हम लोगों का क्या होगा’ |
माँ मुस्कुराते हुए एक बार फिर से बोली ‘बेटा, बिमारी है जैसे आई है वैसे चली जाएगी | और मेरा बेटा तो बहादुर और समझदार है | वो कैसे डरपोक बच्चे जैसी बात कर रहा है | बेटा, दो महीने होने को हैं | जब अभी तक कोई नहीं परेशानी आई तो आगे भी नहीं आएगी | बस, हमें सावधानी बरतनी है | तू नाहक ही परेशान हो रहा है | तुम बहुत दिन से घर में कैद हो | जाओ सामने वाले पार्क में थोड़ी देर के लिए घूम आओ | लेकिन ध्यान रहे जो समझाया गया है उन सब बातों का ध्यान रखना’ | अंकित यह सुनते ही ख़ुशी से झूम उठता है | वह जल्दी से चेहरे पर मास्क पहनता है और जेब में छोटी बोतल सेनिटाईजर की रख बाहर निकल जाता है |
पार्क में घुसते ही उसका मन रामू काका से मिलने को मचल उठता है | लेकिन वह पार्क तो बाहर वाली बड़ी सड़क पर है | वहाँ तो पुलिस वाले होंगे | यह सोच आते ही वह सिर झुका कर पार्क में चक्कर काटने लगता है | पार्क में तीन-चार लोग ही थे और बच्चा तो कोई नहीं था | वह पार्क के दो चक्कर लगा कर बेंच पर आ कर बैठ जाता है | वह मन ही मन सोच रहा था कि काश ! काका यहाँ आ जाते | अचानक उसे दूर से आवाज सुनाई दी ‘अंकित तुम आज बाहर कैसे आ गये’ | रामू काका को सामने से आते देख उसकी ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा | वह बेंच से उठा और भाग कर रामू काका के पास पहुँच कर बोला ‘काका, आप यहाँ कैसे ? आप तो यहाँ…’, वह कुछ और बोल पाता इससे पहले ही रामू काका बोल उठे ‘मैंने तो तुमसे पहले ही कहा था कि मुझे सब पता लग जाता है | खैर, मैं तो मजाक कर रहा था | मैं यहाँ किसी को कुछ समान देने आया था | बस, वापिस जाते हुए मैंने देखा कि तुम सिर झुकाए बेंच पर बैठे हो | मैं आ गया तुम से मिलने के लिए’, कह कर काका अंकित को बेंच पर चल कर बैठने का इशारा करते हैं |
अंकित बेंच पर बैठते हुए बोला ‘काका, मैं तो परेशान हो गया हूँ | पहले स्कूल बंद थे और अब गर्मी की छुट्टियाँ हो गई हैं | दोस्तों से मिले मौज-मस्ती किये बहुत दिन हो गये हैं | अबकि बार तो नानी के घर भी नहीं जा पाऊंगा | अभी दो महीने और घर में रहना पड़ेगा | आज पता नहीं कैसे माँ ने बाहर निकलने दिया है वर्ना तो वो मुझे आँगन में भी निकलने नहीं देती हैं | काका क्या सचमुच हम सब मर जायेंगे’ ?
रामू काका मुस्कुराते हुए बोले ‘बेटा, जब से मनुष्य इस धरती पर आया है तब से बिमारीयाँ भी चली आ रही हैं | हाँ, ये जरूर है कि जैसे-जैसे हम तरक्की करते जा रहे हैं, बीमारियाँ कम होने की बजाय बढ़ती जा रही हैं | हर सौ-दो सौ साल में ऐसी कोई न कोई बड़ी बिमारी आ ही जाती है | वैसे, तुम या और बच्चे, बड़े इस बिमारी से कम, लॉक-डाउन से ज्यादा परेशान हैं | इस परेशानी का कारण क्या है ? तुम्हें मालूम है |’, कह कर रामू काका अंकित को देखते हैं | वह काका की बात सुन काफी देर तक सोचता रहता है | जब उसे कुछ नहीं सूझता तो वह प्रश्नभरी निगाह से रामू काका के देखता है |
रामू काका कुछ देर चुप रहने के बाद फिर से बोले ‘बेटा, वो सब इस लॉक डाउन से परेशान हैं जिन्होंने कभी कोई ऐसा काम नहीं किया है जिसमें उन्हें ख़ुशी मिले और जो काम रात-दिन करते रहो फिर भी दिल को तस्सली न मिले…’ | अंकित बीच में ही बोल उठा ‘मुझे क्रिकेट खेलने में बहुत मजा आता है | मुझे घरवाले अगर खेलने दें तो मैं रात-दिन खेल सकता हूँ’ | रामू काका मुस्कुराते हुए बोले ‘क्रिकेट खेलना अच्छा है लेकिन बेटा जी ऐसे समय में कैसे खेल सकते हो | इसके इलावा भी तो कोई शौक होना चाहिए था’ |
अंकित कुछ देर सोचने के बाद बोला ‘इसके इलावा की बात तो कभी सोची ही नहीं’ | रामू काका बोले ‘यही तो मैं कहना चाहता हूँ | हमेशा हर समय के लिए तैयार रहना चाहिए | माना कि ऐसे समय के बारे में कभी किसी को सपना तक नहीं आया होगा | लेकिन जो सपने में नहीं आया वह आज हकीकत है | चलो छोड़ो ये बात | नहीं सोचा तो कोई बात नहीं | लेकिन पिछले दो महीने से घर में रहने के बाद भी नहीं सोचा ये बात गलत है’ | रामू काका के चुप करते ही अंकित बोला ‘लेकिन मैं ऐसा और क्या कर सकता था | जिससे मैं बोर नहीं होता’ |
रामू काका गंभीर स्वर में बोले ‘मैं तुम्हे बीते समय का एक किस्सा सुनाता हूँ | तुमने न्यूटन का नाम तो सुना होगा’, कह कर रामू काका अंकित को देखते हैं | अंकित के ‘हाँ’ में सिर हिलाने पर वह फिर से बोले ‘१६६५ ईस्वी में इंग्लेंड और यूरोपीय देशो में प्लेग की बिमारी फैली थी | प्लेग की बिमारी चूहों से फैलती है | चूहों के शरीर में जो जुएँ होती और जिन्हें पिस्सू कहते हैं वो जब किसी इंसान को काट लेती थीं तो उसे प्लेग हो जाता था | उस बिमारी के लक्षण और फैलने का ढंग लगभग आज की बिमारी जैसा ही था | उस समय भी लाखों लोगों को प्लेग हुई थी | और बहुत लोग मरे भी थे | बेटा ये संसार है यहाँ जीना-मरना तो लगा ही रहता है | हमें बस हिम्मत से बिमारी का मुकाबला करना चाहिए | जैसा भी बचने का तरीका बताया जाता है उस पर सख्ती से पालन करना चाहिए | ऐसे समय में जो बेवकूफी करता है और डॉक्टर द्वारा बताए तरीके पर नहीं चलता है उसका बीमार होना लगभग तय है | इसलिए डरो नहीं, माता-पिता जैसा कहते हैं उसका पालन करो | अगर नियम से चलोगे तो फिर चिंता मत करो कुछ नहीं होगा |
खैर, ये बात तो हुई कि कैसे बिना डरे बिमारी से बचा जा सकता है | अब सुनो कि प्लेग से बचने के लिए उस समय भी दो से तीन महीने घर से बाहर निकलने की मनाही थी | तब न्यूटन भी तुम्हारी तरह घर में कैद था | लेकिन वह इतना समय घर में रहने के बावजूद बोर नहीं हुआ | क्योंकि उसे पढ़ने और कुछ नया करने का शौक था | तुम्हें सुन कर हैरानी होगी कि न्यूटन के नाम से आज चर्चित काफी आविष्कार या खोज उसने उस लॉक-डाउन के समय में की थीं | यहाँ तक कि उसने गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत भी उसी समय खोजा था | एक दिन वह अपने बगीचे में पेड़ के नीचे बैठ कर कुछ पढ़ रहा था कि अचानक एक सेब आकर उसके सिर पर गिरा | बस फिर क्या था | वह कई दिन तक इसके बारे में सोचता रहा कि सेब नीचे क्यों गिरा | काफी दिन सोचने के बाद उसे समझ में आया कि हर चीज ऊपर से धरती पर ही आकर गिरती है लेकिन क्यों | और इस ‘क्यों’ से उसने एक नई खोज कर डाली कि धरती में चुम्बकिय शक्ति है | जिसे बाद में गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत माना गया | अब देखो उसने उस समय का कितना सदुपयोग किया |
बेटा, इसीलिए कहते हैं कि हर हाल में खुश रहना चाहिए | और खुश रहने के लिए कुछ ऐसा करो कि तुम्हें उसका फल अच्छा भी मिले और बुराई से भी दूरी बढ़े | तुम क्रिकेट के साथ ही साथ कोई और शौक भी पैदा करो | ताकि अगर हम ये न कर सके तो दूसरा कर ले अगर वो भी न कर सके तो तीसरा कर लें | जैसे तुम्हें अच्छी कहानी की किताबें पढ़ने या कोई छोटी-सी कविता या कहानी लिखने का भी शौक होता या तुम्हें ड्राइंग या संगीत का शौक होता तो तुम बिलकुल भी बोर नहीं होते और तुम्हें पता भी नहीं लगता कि दो महीने कब गुजर गये | ये सब शौक तुम घर के अंदर ही बैठ कर आराम से पूरे कर सकते थे | ऐसे काम करने पर हर इंसान को इतनी ज्यादा अंदरूनी ख़ुशी मिलती है जितनी उसे किसी और काम में नहीं मिल सकती है’ |
अंकित कुछ कह पाता इससे पहले ही उसे दूर से आती माँ की आवाज सुनाई दी | वह तेजी से उठते हुए बोला ‘काका, माँ बुला रही है | आपने बहुत अच्छी बात बताई है | ठीक है अब मैं चलता हूँ | प्लीज् आप कल भी आना’, कह कर अंकित तेज क़दमों से पार्क के गेट की ओर चल देता है |