दोस्तों, जैसा कि हमने पिछले भाग में कहा था | आज हम एक कुंडली बना कर अभी तक बताए गए सब सामान्य नियम सामान्य भाषा में समझाने की कोशिश करेंगे | लेकिन हम जैसे-जैसे आगे बढ़ेंगे ज्योतिष के नियम और भाषा कठिन अवश्य होगी |
दोस्तों, जैसा कि आप उपरोक्त कुंडली में देख रहे हैं | हम ने आपको समझाने के लिए 1.1.2000 की कुंडली बनाई है जिसका समय हमने शाम के 18.42 का लिया है | जैसा कि आप इस कुंडली में देख पा रहे हैं कि पहले भाव में कर्क राशि का नंबर लिखा हुआ है जिसे हम लग्न कहते हैं | आइए अब हम चेक करते हैं कि कर्क लग्न कैसे आया | इस लग्न को चेक करने के लिए आपको पिछले भाग में सूर्य के राशि बदलने वाली तालिका को देखना होगा | उसमें 9 नंबर पर लिखा है कि 14/15 दिसम्बर से सूर्य धनु राशि यानि 9 नंबर में प्रवेश करेगा | उत्तर भारत में जनवरी महीने में सूर्य देर से उदय होता है | अतः हम लगभग 6.10 सुबह का समय लेकर चलते हैं | इस हिसाब से सुबह 6.10 पर सूर्य का उदय 9 नंबर राशि में हुआ होगा | जैसा कि हम ने पिछले भाग में बताया था कि सूर्य उदय के बाद से लगभग हर दो घंटे (हम लगभग दो घंटे लेते हैं तो अगले दिन सूर्य उदय तक 12 लग्न बदल जाते हैं | लेकिन जब दिन छोटे होते हैं तब दिन में लग्न जल्दी बदलते हैं और रात में दो घंटे से ज्यादा का समय लगता है और जब दिन बड़े होते हैं तब दिन में लग्न दो घंटे से ज्यादा होता है और रात में कम होता है | कुल मिला कर 24 घंटे में 12 लग्न बदलते हैं) में एक लग्न बदलता है उस हिसाब से सुबह 6.10 में दो घंटे जोड़ते हुए हम शाम के 6.42 बजे तक कितने लग्न बदलते हैं चेक करते हैं | 6.10am to 8.10-9, 8.10am to 10.10am-10, 10.10am to 12.10pm-11, 12.10pm to 2.10pm-12, 2.10pm to 4.10pm-1, 4.10pm to 6.10pm-2, 6.10pm to 8.10pm-3, इस हिसाब से लग्न में 3 नंबर होना चाहिए था लेकिन ऊपर दिए नियम के अनुसार अगर देखें तो 4 होना चाहिए क्योंकि जनवरी में दिन छोटे होते हैं | अतः अगर आप कुंडली का लग्न कैलकुलेशन चार्ट देखेंगे तो उसमें कर्क लग्न 6.25pm पर ही शुरू हो गया था जोकि 8.10pm पर शुरू होना चाहिए था | जैसा हमने पहले भी लिखा था कि लगभग दो घंटे में एक लग्न बदलता है लेकिन आपको कौन-सा महिना चल रहा है और सूर्य उदय किस समय हुआ इसका ध्यान रखेंगे तो आप सही अंदाजा लगा सकते हैं |
आइए अब हम एक कुंडली 1.7.2000 समय शाम 6.42 की बना कर चेक करते हैं :
जुलाई के महीने में दिन लम्बे होते हैं और सूर्य उदय जल्दी होता है | पिछले भाग में दी गई तालिका के अनुसार 15 जुलाई तक सूर्य मिथुन राशि में होता है तो इसका मतलब है कि सूर्य उदय के समय मिथुन लग्न यानि 3 नंबर होगा | और सूर्य उदय लगभग सुबह 5.30 होता है तो उस हिसाब से 5.30am to 7.30am – 3, 7.30am to 9.30am – 4, 9.30am to 11.30am – 5, 11.30am to 1.30pm – 6, 1.30pm to 3.30pm – 7, 3.30am to 5.30pm – 8 and 5.30pm to 7.30pm – 9 होना चाहिए और यही लग्न में नंबर लिखा है | जैसा कि हमने पहले भी लिखा है कि दिन लम्बे होने के कारण लग्न भी लम्बे हो जाते हैं | अब आप कह सकते हैं कि यहाँ तो कैलकुलेशन ठीक आ रही है | आप की बात ठीक है लेकिन लग्न लम्बे होने के कारण धनु लग्न 5.30pm पर शुरू होने की बजाय यह लग्न 6.10pm पर शुरू हो रहा है |
अतः लगभग 2 घंटे वाली कैलकुलेशन में 1 लग्न ही आगे-पीछे हो सकता है और अगर आप सूर्य उदय और महीने का हिसाब रखेंगे तो कुछ दिन के परिश्रम के बाद आप बिलकुल ठीक हिसाब लगा सकते हैं |
हमें आशा है कि आप पहले भाव या खाने में नंबर कैसे बदलते हैं और इसे लग्न क्यों कहते हैं यह समझ गए होंगे |
इस कुंडली के साथ ही कुछ और भी लिखा होता है :
1.राशि – मिथुन (आप उपरोक्त कुंडली देखें तो चन्द्र 3 नंबर यानि मिथुन राशि में बैठा है | इसे ही जातक की राशि कहा जाता है | जब भी राशि फल देखना होता है तो यही राशि देखी जाती है)
2.राशि स्वामी-बुध (पहले भाग की तालिका देखेंगे तो उसमें मिथुन राशि का स्वामी बुध लिखा है)
3.तिथि- अमावस्या (जैसा हमने पहले भी कहा था कि यदि सूर्य के साथ चन्द्र होगा तो जन्म अमावस्या को हुआ होगा)
4.मांगलिक – इस कुंडली के अनुसार जातक मांगलिक है क्योंकि मंगल सातवें घर या भाव में बैठा है लेकिन चन्द्र साथ होने पर मांगलिक प्रभाव कम हो जाता है | यह किस हद तक कम हो जाता है इसे आगे फलित ज्योतिष में समझेंगे |
इसके इलावा भी लिखा होता है जैसे – नक्षत्र, पाद, योग, करण, योनी, गण, नाड़ी वर्ण | यह सब हम आगे फलित ज्योतिष समझाते हुए बताएँगे |
अब हम उपरोक्त कुंडली को ज्योतिषी कैसे पढ़ते हैं वह जानते हैं :
धनु लग्न की कुंडली में लग्न खाली है | इसे हम ऐसे भी कहते हैं कि पहले भाव में धनु राशि है और इस राशि का स्वामी बृहस्पति छठे भाव में शनि के साथ वृषभ राशि में है जिसका स्वामी शुक्र सातवें भाव में मिथुन राशि में सूर्य, चन्द्र, मंगल और बुध के साथ में है और इस राशि का स्वामी अपनी ही राशि में बैठा है | आप यह पिछले भाग में दिए गए चार्ट या तालिका को सामने रख कर समझ सकते हैं | दूसरे भाव में केतु बैठा है | इस भाव में मकर राशि है और इसका स्वामी शनि छठे भाव में बृहस्पति के साथ बैठा है और इस भाव में राशि वृषभ है जिसका स्वामी सातवें भाव में उस राशि के स्वामी के साथ बैठा है | तीसरा, चौथा और पाँचवा भाव खाली हैं | आठवें भाव में राहू बैठा है | इस भाव में कर्क राशि है जिसका स्वामी चन्द्र सातवें भाव में उस राशि के स्वामी के साथ बैठा है |
इस तरह हम कुंडली को पढ़ते हैं | जो भाव खाली हैं उनमें जो राशि है उसका स्वामी कहाँ बैठा है उससे फलित ज्योतिष के हिसाब से फल बताया जाता है |
चन्द्र कुंडली कैसे बनाई जाती है :
बहुत ही आसान है | जहाँ भी चन्द्र लिखा है वह राशि बाएं से दायें घुमाते हुए पहले भाव में ले आएंगे | चन्द्र कुंडली के हिसाब से पहले भाव में अब 3 नंबर लिखा जाएगा और चन्द्र के साथ जो भी ग्रह हैं उन्हें भी लिख लेंगे | अब तीन नंबर से आगे 12 नंबर तक लिख कर सारे भाव या खाने या घर पूरा कर लेंगे | अब दूसरे भाव में 4 नंबर आ जाएगा और उस में राहू लिखा जाएगा | आठवें घर में 10 नंबर और केतु लिखा जाएगा | 12 घर में 3 नंबर आएगा और इसमें बृहस्पति और शनि लिखा जाएगा | ये आपकी चन्द्र कुंडली कहलाती है |
इन सब के इलावा जन्म के समय किस ग्रह की कितनी ग्रह दशा बाकि है यह भी लिखा होता है | जैसे उपरोक्त कुंडली में जन्म के समय राहू की दशा चल रही थी और अभी 10 साल 1 महिना और 18 दिन बाकि थे | हम अगले भाग में किस ग्रह की कितनी दशा होती है यह बताएँगे | वैसे आज के समय में कुंडली बनाने के बहुत से कंप्यूटर/मोबाइल फ़ोन के फ्री सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं | जिन के सहारे आप कुंडली और ग्रह दशा प्राप्त कर सकते हैं |