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ज्योतिष – भाग-7

दोस्तों, हम इस भाग से अगले कुछ भाग में आपको ज्यादात्तर फलित ज्योतिष और कुछ गणित ज्योतिष के सामान्य नियम बताएँगे | कृपया इन नियम को जानकार अपनी कोई राय मत बनाइएगा | क्योंकि यह फलित ज्योतिष के आधारभूत नियम हैं | आप इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि ईमारत की नींव देख कर या उसके बारे में जानकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वह ईमारत बड़ी और मजबूत होगी | लेकिन कितनी भव्य, शानदार और ऊँची होगी यह नहीं जान सकते हैं | इसीप्रकार ज्योतिष के इन आधारभूत नियमों को जानकार आप जातक अर्थात व्यक्ति विशेष के बारे में कुछ हद तक अंदाजा तो लगा सकते हैं लेकिन उसके भविष्य के बारे में पूरी तरह से नहीं बता सकते हैं | अतः इन आधारभूत नियमों को याद करने की कोशिश करें | क्योंकि इन नियमों का फलित ज्योतिष में बार-बार जिक्र आएगा |

दोस्तों, ऊपर दिए गए चित्र में पहले घर या भाव में 1 नम्बर लिखा है और आपको कोई भी ग्रह नजर नहीं आ रहा है | जैसा कि हमने पहले भी बताया था कि कुंडली में पहला घर या भाव होता है और इसमें लग्न के हिसाब से राशि का नम्बर लिखा जाता है और जिस राशि में जन्म के समय जो ग्रह होता है वह लिखा जाता है |

दोस्तों, अब हम जो नियम बताने जा रहे हैं | उससे कुछ समय के लिए भ्रम की स्थिति पैदा होगी | लेकिन यदि आप यह नियम बार-बार ध्यानपूर्वक पढ़ेगे और याद करने की कोशिश करेंगे तो आपका भ्रम जल्द ही खत्म हो जाएगा | एक बार फिर आपको बता दें कि यह फलित ज्योतिष के आधारभूत नियम हैं | अतः इन्हें समझे बिना या याद किये बिना आप फलित ज्योतिष सीख नहीं पायेंगे |

1.लग्न यानि पहले घर या भाव का कारक – सूर्य होता है | पहले भाव में कोई भी राशि आए उसका कोई भी स्वामी हो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है | इसी प्रकार हम सब भाव के कारक बताएँगे |
2.भाव से हम क्या देखते हैं | जैसे पहले भाव से देह अर्थात शरीर कैसा होगा, व्यक्तित्व, चेहरा आदि देखा जाता है |
3.भाव में कौन-सी राशि आई है उसका स्वामी किस भाव में किसके साथ बैठा है |
4.ग्रह के कारक क्या हैं | जैसे सूर्य से पिता, प्रभाव और उर्जा का पता लगता है |

उपरोक्त पॉइंटस के साथ ग्रह स्थिति, ग्रह दृष्टि, ग्रह दशा, योग, चलित, चन्द्र कुंडली और नवमांश में ग्रह स्थिति देख कर जातक का भविष्य बताया जाता है |

आइए, सबसे पहले हम भाव के बारे में जानने की कोशिश करते हैं | हम भाव से क्या-क्या देखते हैं यह जानते हैं :

पहला भाव : जन्म, सिर, शरीर, अंग, बुद्धि, आयु, सौभाग्य, रंग-रूप, कद आदि पर विचार करते हैं |
दूसरा भाव : परिवार, भोजन, कल्पना-शक्ति, सम्पत्ति, जीवनसाथी के साथ हिंसक व्यवहार और अप्रकृतिक मैथुन, दांत और नासिका, ठगने की कला |
तीसरा भाव : लेखन, शिक्षा, बहादुरी, छोटे भाई बहन और रिश्तेदार, छाती, दायाँ कान, हाथ और नाड़ी तंत्र |
चौथा भाव : माँ व माँ की तरफ के सगे सम्बन्धी, भूमि, वाहन, घर का वातावरण, जमीन-जायदाद, खजाना, ससुराल पक्ष |
पांचवा भाव : पद और प्रतिष्ठा, जीवन स्तर, हृदय, उदर और पीठ, प्रेम सम्बन्ध, सन्तान, मनोरंजन, सट्टा, आत्मा और कलात्मकता, खेल और प्रतियोगिता में सफलता |
छठा भाव : चोरी, शत्रु, बदनामी, ऋण, विवाद, अभाव, मामा पक्ष, कमर, सेवा भाव – जनसधारण, नौकर, पालतू पशु |
सातवाँ भाव : पति/पत्नी का वैवाहिक जीवन, इच्छा व काम-शक्ति व सम्बन्धी रोग, यात्रा, क़ानून, साझेदारी |
आठवाँ भाव : आयु, मृत्यु का कारक, दुर्घटना, पैत्रिक सम्पत्ति, चिंता, रुकावट व बाधायें, तांत्रिक शक्ति |
नौवां भाव : धर्म, श्रधा, विश्वास और भक्ति, आध्यात्मिक शक्ति, दादा-दादी, पोता, किस्मत, चरित्र, साला, छोटी भाभी |
दसवां भाव : कर्म, व्यवसाय, सत्ता, अधिकार, नेतृत्व की क्षमता, पिता, व्यापार या नौकरी में सफलता और कर्मचारियों व् अधिकारियों से सम्बन्ध |
ग्यारहवां भाव : लाभ, मित्र, बड़ा भाई, बायाँ कान, टखने, रोग मुक्ति |
बारहवां भाव : ऐय्याशी, भोग-विलास, काम-क्रीड़ा की ताकत व् कमजोरी, रात के समय शन्ति, यौन सम्बन्धी रोग |

दोस्तों, भाग – 5 में हम राशि के स्वामी पहले ही बता चुके हैं | भाव के स्वामी या कारक इस प्रकार हैं :
पहले भाव का कारक ग्रह सूर्य है | दूसरे भाव का कारक ग्रह बृहस्पति है | तीसरे भाव के कारक ग्रह मंगल और बुध हैं | चौथे भाव के कारक ग्रह चन्द्र और शुक्र हैं | पांचवे भाव के कारक ग्रह बृहस्पति है | छठे भाव के कारक ग्रह मंगल और शनि हैं | सातवें भाव का कारक ग्रह शुक्र है | आठवें भाव का कारक ग्रह शनि है | नवें भाव के कारक ग्रह सूर्य और बृहस्पति हैं | दसवें भाव के कारक ग्रह सूर्य, बुध, शनि और बृहस्पति हैं | ग्यारहवें भाव का कारक बृहस्पति है और बारहवें भाव का कारक शनि है |