दोस्तों, हमने भाग -5 में बारह राशि और उसके मालिक या स्वामी ग्रह के बारे में जाना | भाव या घर क्या होते हैं और हम इसे ज्योतिष में कैसे देखते हैं तथा लग्न क्या होता है और पहले घर में नंबर क्यों और कैसे बदलते हैं यह भी जाना था |
भाग -6 में हमने कुंडली बना कर लग्न और घरों या भावों के बारे में विस्तार से जाना और साथ ही हमने यह भी जाना कि ज्योतिष में चन्द्र कुंडली कैसे बनाई जाती है |
दोस्तों, हमने पिछले भाग(भाग-7) में हमने भाव से हम क्या देखते हैं या जानने की कोशिश करते हैं तथा उनके स्वामी या कारक कौन से ग्रह होते हैं यह जाना था | हम राशि के स्वामी भाग -5 में पहले ही बता चुके हैं | आज हम राशि से क्या-क्या देखते या जानने की कोशिश करते हैं वह बताते हैं |
1. मेष – पुरुष जाति, अग्नि-तत्व, कांतिहीन, उग्र प्रकृति, पूर्व दिशा, जंगम(movable), विषम(odd), पित्त प्रकृति, क्षत्रिय वर्ण आदि | इस राशि का प्राकृतिक स्वाभाव साहसी, अभिमानी और मित्रता वाला है |
2.वृष – निश्चित या स्थिर(fixed), स्त्री राशि, भूमि तत्व(earthy), सम(even), फलदाई, शीतल स्वाभाव, कान्ति रहित, वात प्रकृति, वैश्य वर्ण | इस राशि का प्राकृतिक स्वाभाव स्वार्थी, सांसारिक कार्यों को समझ-भूझ कर करने वाला |
3.मिथुन – सामान्य(common), विषम(odd), पुरुष जाति, हरित वर्ण, दो स्वाभाव का मालिक, विद्या ग्रहण की क्षमता, शिल्पकार |
4.कर्क – चर(movable), स्त्री जाति, सम(even), कफ प्रकृति, मिश्रित वर्ण, संसारिक कार्य करने में लिप्त रहने वाला |
5.सिंह – पुरुष जाति, निश्चित या स्थिर(fixed), विषम(odd), क्रूर(cruel), अग्नितत्व, इसका स्वभाव लगभग मेष राशि जैसा ही होता है लेकिन उस स्वाभाव में स्वतंत्रता और उदारता भी शामिल होती है |
6.कन्या – सामान्य(common), सम(even), स्त्री जाति, भूमि तत्व(earthy), इसका स्वाभाव मिथुन राशि जैसा ही होता है लेकिन उस में मान-सम्मान और तरक्की पर भी ध्यान रहता है |
7.तुला – चर(movable), विषम(odd), पुरुष जाति, क्रूर(cruel), वायु तत्व, विचारशील, ज्ञान प्रिय होने के साथ-साथ राजनीति में भी दखल रहता है |
8.वृश्चिक – निश्चित या स्थिर(fixed), स्त्री राशि, जल तत्व(watery), सम(even), कफ प्रकृति, ब्राह्मण वर्ण, हठीला स्वभाव होने के साथ-साथ स्पष्टवादी लेकिन निर्मल स्वाभाव होता है |
9.धनु – सामान्य(common), विषम(odd), पुरुष जाति, क्रूर(cruel), अग्नि तत्व, क्षत्रिय वर्ण, स्वाभाव अधिकार प्रिय होने के साथ-साथ करुणामय और मर्यादा का पालन करने वाला भी होता है |
10.मकर – चर(movable), सम(even), स्त्री जाति, भूमि तत्व(earthy), क्रूर सौम्य (mild), वात प्रकृति, पिंगल वर्ण, उच्च सोच रखने वाला होता है |
11.कुम्भ – निश्चित या स्थिर(fixed), विषम(odd), पुरुष जाति, क्रूर(cruel), वायु तत्व, विचित्र वर्ण, त्रिदोष प्रकृति, धर्मवीर, अविष्कारक, विचारशील स्वभाव होने के साथ-साथ शान्ति प्रिय भी होता है |
12.मीन – सामान्य(common), स्त्री जाति, सम(even), क्रूर सौम्य (mild), कफ प्रकृति, जल तत्व, पिंगल वर्ण, उत्तम स्वाभाव होने के साथ-साथ दयालु और दानशील भी होता है |
आइए अब ग्रहों के दोस्त, सम(neutral) और दुश्मन जानें :
1. सूर्य के दोस्त – चन्द्र, मंगल और बृहस्पति हैं | सूर्य के सम – बुध है | सूर्य के दुश्मन – शनि और शुक्र हैं |
2. चन्द्र के दोस्त – सूर्य और बुध हैं | चन्द्र के सम – मंगल, बृहस्पति, शनि, शुक्र हैं | जबकि चन्द्र का दुश्मन कोई नहीं है |
3. मंगल के दोस्त – बृहस्पति, चन्द्र और सूर्य हैं | मंगल के सम – शनि और शुक्र हैं | मंगल का दुश्मन – बुध है |
4. बुध के दोस्त – सूर्य और शुक्र हैं | बुध के सम – शनि, मंगल और बृहस्पति हैं | बुध का दुश्मन – चन्द्र है |
5. बृहस्पति के दोस्त – सूर्य, चन्द्र और मंगल हैं | बृहस्पति के सम – शनि | बृहस्पति का दुश्मन – बुध और शुक्र है |
6.शुक्र के दोस्त – बुध और शनि हैं | शुक्र के सम – मंगल और बृहस्पति हैं | शुक्र के दुश्मन चन्द्र और सूर्य हैं |
7.शनि के दोस्त शुक्र और बुध हैं | शनि के सम – बृहस्पति है | शनि के दुश्मन – मंगल, चन्द्र और सूर्य हैं |
दोस्तों, एक बात ध्यान रखने की है कि अपने से (यानि कोई भी ग्रह किसी भी भाव में बैठा है तो उससे) दूसरे, तीसरे, चौथे, दसवें, ग्यारहवें और बारहवें भाव में आया ग्रह अस्थाई रूप से दोस्त बन जाएगा और बाकि भाव में बैठे ग्रह अस्थाई दुश्मन बन जायेगें | अतः ऊपर दी गई तालिका में जो दोस्त हैं वह यदि अस्थाई दोस्त भाव में आयेंगे तो पक्के दोस्त बन हर तरह से सहायता करेंगे | सम और दुश्मन ग्रह अस्थाई दोस्त बन जाएंगे लेकिन दुश्मन भाव में आने वाले ग्रह दोस्त होने पर भी सम हो जायेंगे और सम होने वाले ग्रह अस्थाई दुश्मन और दुश्मन होने वाले ग्रह पक्के दुश्मन हो जायेंगे |