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ज्योतिष – भाग-2


 

दोस्तों, गीता हमें कर्म और कर्मफल के बारे में बताती है | आपको हमने पहले भी Law of Motion के बारे में बताया है कि किस तरह हमारे कर्मों का फल घूम कर हमें वापिस मिलता है | बहुत बार इस जन्म में मिलता है और बहुत बार हमें अगले जन्म में मिलता है | आप यह कह सकते हैं कि अगला जन्म किस ने देखा है | आपकी बात सही है लेकिन अगर आप इसे दूसरे नजरिये से देखें तो आपको महसूस होगा कि अगला या पिछला जन्म होता है | जैसे आप एक अच्छे घर में पैदा होते हैं | जहाँ हर तरह की सुख-सुविधा है | एक व्यक्ति ऐसे घर में पैदा होता है जहाँ वह जन्म ही सड़क पर लेता है और उसकी सारी जिन्दगी दो जून की रोटी कमाने में ही खर्च हो जाती है और मौत भी सड़क पर हो जाती है | पुलिस उसे लावारिस लाश मान कर दफना देती है | ऐसे व्यक्ति का क्या कसूर था कि वह ऐसे घर में जन्म लेता है | आपने ऐसा क्या किया था कि आपका जन्म अच्छे घर में हुआ | बहुत कुछ आपको जन्म के बाद बिना मांगे मिल गया और दूसरे को वह सारी जिन्दगी नसीब नहीं हुआ | कुछ तो ऐसा होगा जिसके कारण आपका जन्म अच्छे घर में हुआ |

हमारे पूजनीय ग्रंथों में कहा गया है कि 84 लाख योनी के बाद हमें इंसान का जन्म मिलता है | अगर ये बात सच है तो सब अमीर होने चाहिए थे | सबका जन्म अच्छा होना चाहिए था | खैर, ये भी कहा जाता है कि यदि आप अच्छे कर्म नहीं करेंगे तो आपको जानवर की योनी में जन्म लेना पड़ेगा | यह गलत तो लगता है लेकिन गलत है नहीं | गलत इसलिए लगता है क्योंकि इंसान जानवर की योनी में जन्म नहीं ले सकता है | क्योंकि आपने कभी नहीं सुना होगा कि किसी में जानवर के जींस पाए गये | हाँ, यह सच इसलिए है कि वह सड़क पर पैदा होकर जानवर से भी बत्तर जिन्दगी व्यतीत करता है | वह जानवर की योनी में पैदा होने जैसा ही है | यही बात यह सिद्ध करती है कि हमारा पिछला या अगला जन्म होता है और कर्म फल हमें भोगना ही होगा |

ज्योतिष इसी कर्म फल का लेखा-जोखा है | कर्म फल कर्म से कट जाते है इसीलिए ज्योतिष में उपाय बताये जाते हैं | लेकिन यह गलत प्रचार-प्रसार किया गया है कि कर्म या कर्म फल कर्म से कट जाते हैं | आपके अच्छे कर्म और उनका फल हमेशा अलग रहता है और बुरा कर्म या उसका फल अलग रहता है | यह गलत बताया गया है तभी तो हम सब कहते हैं कि मैंने तो सब अच्छा किया था फिर भी मुझे नतीजा गलत ही मिल रहा है | अगर हमें यह बताया जाता कि बुरे का बुरा और अच्छे का अच्छा मिलेगा तो हम कभी ये न कहते | यही कारण है कि ज्यादात्तर बुरा करने वाले आपको दान-पुण्य करते दिख जाएंगे | और आपको ऐसे भी दिख जाएंगे जो सारी जिन्दगी बुरा करेंगे फिर अच्छा जीवन भोगेंगे | यह बात साबित करती है कि अच्छे और बुरे का हिसाब-किताब अलग-अलग ही होता है | और अगर ऐसा होता है तो फिर उपाय का क्या महत्व है ?

उपाय या पूजा-पाठ या यंत्र-तन्त्र-मन्त्र या जाप भारतीय ज्योतिष का हिस्सा नहीं थे | यह सब कर्म-काण्ड के अंतर्गत आते हैं | इसी प्रकार चन्द्र और सूर्य ग्रहण का जातक पर कुप्रभाव भी ज्योतिष का हिस्सा नहीं थे | यह बात भी सच्च है कि उपरोक्त उपाय या अन्य कार्य करने से आपके अंदर एक तरह के जोश का संचार होता है जो आपको बुरे समय से लड़ने की हिम्मत देता है |

भारतीय ज्योतिष में जैसा कि पहले बताया गया है कि सब ग्रहों को घूमते हुए बताया गया है और पृथ्वी को स्थिर माना गया है | यह सब नासमझी में नहीं किया गया है | आप धरती को स्थिर मान कर ही दूसरे ग्रहों की गति का अंदाजा लगा सकते हैं | ज्योतिष में कुंडली का बहुत महत्त्व है | कुंडली में बारह घर या खाने होते हैं और उन में ही सात ग्रह और दो छाया ग्रह घूमते हैं | यह सब आप तभी कर सकते हैं जब आप घरती को स्थिर मानते हैं | यह एक ब्रह्म ज्ञान है | इसे आज का विज्ञान, विज्ञान न माने लेकिन यह वास्तव में विज्ञान है |

मेरी निजी राय में यदि हम इसे ग्रहों से सम्बन्धित न करें और केवल ग्रहों को गणितीय गणना का एक स्रोत माने तो शायद इसे विज्ञान का दर्जा मिल सकता है |

मैं जो कहना चाहता हूँ | आइये इसे दूसरे तरीके से समझते हैं | विज्ञान कहता है कि अभी तक की वैज्ञानिक खोज में यह कहीं भी सामने नहीं आया है कि सूर्य और चन्द्र के इलावा किसी और ग्रह का धरती पर किसी भी तरह का कोई प्रभाव पड़ता है | विज्ञान के मतानुसार सूर्य और चन्द्र का भी हम पर बहुत कम प्रभाव पड़ता है | लेकिन यह प्रभाव हमारे कर्म, मन, सोच और दिमागी गतिविधियों पर नहीं पड़ता है | अतः ज्योतिष में ग्रहों के प्रभाव की बात पूर्णतः गलत और झूठी है |

विज्ञान केवल यही तो कहता है कि ग्रहों का प्रभाव नहीं पड़ता है इसलिए ज्योतिष गलत है | हम भी मान लेते हैं कि ग्रहों का प्रभाव नहीं पड़ता है लेकिन फिर भी ज्योतिष गलत नहीं है | ज्योतिष में हम एक बार कुंडली बना लेने के बाद ग्रहों को ग्रह न मान कर math की तरह ABC या XYZ मान लेते हैं और फिर भविष्य बताते हैं | तब वैज्ञानिक कहते हैं कि यह एक भ्रमिक सम्भावना बताता है | हम इसे भी मान लेते हैं और यह प्रश्न पूछते हैं कि मौसम विज्ञान भी सम्भावना बताता है | Economics, Economic Planning/Policy, Management, Management Planning/Policy, Financial Planning, Medical Science etc., सब सम्भावना ही तो व्यक्त करते हैं | यदि ऐसा हो तो ऐसा होगा या  सकता है | इन सब में भी एक बात तठस्थ रहती है और तब दूसरे की सम्भावना बताई जाती है | लेकिन इन सब बातों से ऊपर प्रकृति कुछ और ही करने के ताकत रखती है | जैसे आज आई बिमारी, तूफ़ान, भूचाल इत्यादि |