horoscope, sign, zodiac-96309.jpg

ज्योतिष – भाग -3


 

ज्योतिष के बारे में विज्ञान या आज का पढ़ा-लिखा वर्ग कुछ भी कहे, क्या फर्क पड़ता है | सच तो सच ही रहेगा, किसी के कहने या न कहने से उस में कोई फर्क नहीं पड़ेगा | आज का पढ़ा-लिखा या अपने आप को अक्लमंद या मॉडर्न कहने वाला वर्ग सिर्फ सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास करता है | लेकिन यही वर्ग सबसे ज्यादा अन्धविश्वास में जीता है | जब तक सब कुछ ठीक-ठाक चलता रहता है तब तक हर बात गलत लगती है लेकिन अचानक आई असफलता एक मिन्ट में अन्धविश्वास की ओर मोड़ देती है | सब भगवान की पूजा क्यों करते हो | क्या सब को सचमुच भगवान से प्रेम है ? क्या सब भगवान् को पाना चाहते हैं ? जी नहीं ! सब में अंधविश्वास और डर की भावना है | सब को सब से पहले और जल्दी सब कुछ चाहिए | जोकि इस गहन प्रतिस्पर्धा से भरे जीवन में मुश्किल है | ऐसे कुछ पाने या खोने का डर हमेशा सताता है | यह डर ही भगवान की भक्ति की ओर मोड़ता है | कोई ऐसा है जो बिना चाहत के भक्ति कर रहा है | हर पूजा-पाठ में ‘मुझे सुख दो, मुझे धन दो, मुझे स्वास्थ्य दो…..’ के इलावा और क्या है ? भगवान की तारीफ की जाती है | उस कि जिसने इस सृष्टि को बनाया | उसकी तारीफ किसलिए ? खुश ही तो करना चाहते हो ? भगवान से माँगा जा रहा है तो इसका मतलब कि माँगने वाला यह मानता है कि जो कुछ भी वह माँग रहा है वह उसकी किस्मत में नहीं है या वह अपने आपको उसके काबिल नहीं मानता है |

किस्मत या भाग्य या क्या मिलेगा या क्या नहीं मिलेगा इसी को ज्योतिष स्पष्ट रूप से बताता है | मान भी लिया जाए कि ज्योतिष पूरी तरह से सम्भावना पर आधारित है तो भी सम्भावना से तो आपको अवगत कराया जा रहा है | लेकिन जब आप भगवान् के दर पर माँगने जाते हो तो वहाँ तो कोई सम्भावना भी बताने वाला नहीं है लेकिन आप एक आशा से जाते हो | वही आशा ज्योतिष से भी की जा सकती है | हाँ इस में कोई शक नहीं है कि आज के समय में ज्योतिष से भविष्य बताने वाले बहुत कम लोग आपको सच से अवगत कराते हैं बाकि तो ज्यादात्तर आपकी मजबूरी का फायदा ही उठाते हैं लेकिन ऐसा हर पूजा स्थल पर भी तो हो रहा है | आप भगवान् या पूजा स्थल को नहीं कोसते हो लेकिन ज्योतिष के सन्दर्भ में आप ज्योतिष शास्त्र को कोसते हो न कि उस झूठे भविष्य बताने वाले पैसे के लोलुप ज्योतिषी को नहीं |

दोस्तों, ऐसा प्रतीत होता है कि ज्योतिष को लिखित रूप में प्रस्तुत करने से पहले ऋषि-मुनियों ने मानव व्यवहार और पृथ्वी का हमारे सौरमंडल में घूमने पर गहन शोध किया होगा | इसी शोध में उन्हें यह ज्ञात हुआ कि पृथ्वी के इस सौरमंडल में घूमने और मानवीय व्यवहार में आपसी सम्बन्ध अवश्य है | वह काफी शोध के बाद ही इस निष्कर्ष पर पहुँचें होंगे कि फलाने ग्रह या नक्षत्र के उदय या अस्त या विचरण करने के समय में पैदा होने वाले मानव का व्यवहार या भविष्य ऐसा या वैसा हो सकता है | यह जानने के बाद भी उन्होंने इसे लिखित जामा पहनाने के लिए बारह घर यानि सूर्य की चाल के अनुसार बारह महीने पर आधारित बारह राशि अर्थात बारह घर बनाए होंगे | धरती घूम रही है और उसके घूमने के हिसाब से ही रात-दिन, महिना-साल गर्मी-सर्दी और अन्य मौसम आते हैं | इसी घूमने के कारण हम अपनी उम्र का हिसाब लगाते हैं | इस साल जितनी बारिश या सर्दी या गर्मी पड़ी उसका हिसाब-किताब लगाने के बाद मौसम विभाग बताता है कि आज से इतने साल पहले भी ऐसा हुआ था और फिर सम्भावना लगाई जाती है कि अगले साल या आने वाले साल में ऐसा या वैसा हो सकता है | कुछ ऐसा ही ज्योतिष पर शोध करने वालों ने भी किया होगा | ज्योतिष पर शोधकर्ताओं ने धरती को स्थिर मान कर आसमान में बदलती ग्रह दशा से एक चाल या एक तरीका खोजा | यह सिर्फ ग्रह या नक्षत्र कि चाल से सम्बन्धित था न की उस ग्रह या नक्षत्र का धरती पर पड़ने वाले प्रभाव से था | यह तो बाद में जोड़ दिया गया कि फलाने ग्रह या नक्षत्र का इंसान पर प्रभाव पड़ता है | हर ग्रह या नक्षत्र को इंसानी स्वाभाव से आँका गया और चाल को उस स्वाभाव के अनुसार निश्चित किया गया होगा | पत्री बनने के बाद वह ग्रह, ग्रह नहीं रह जाते हैं | वह आपके जीवन में होने वाले बदलाव को दर्शाने वाले मोहरे बन जाते हैं जैसे शतरंज के मोहरे होते हैं | ज्योतिष में कर्म फल से भी कोई लेना देना नहीं है | बस एक बदलाव या रहन सहन बताने का एक तरीका मात्र है | जैसे आज विज्ञान हर नए खोजे ग्रह या तारे का एक नाम दे देता है | यह सब वैसे ही था लेकिन पैसे के लोलुप लोगों को लगा कि यदि ऐसा बताया जाएगा तो शायद लोग डर का अनुभव नहीं करेंगे | डर नहीं तो फिर पैसा कैसे आएगा | बस यहीं से ज्योतिष का पतन शुरू हो गया | उपाय शुरू हो गये | अगर ज्योतिष कर्म फल ही बताता है तो फिर उपाय मात्र से आपका भविष्य कैसे बदल सकता है | ये सब वैसे ही है जैसे आप पूजा स्थल में प्रशाद चढ़ा कर मन्नत मांग कर सोचते हैं | जब आप ये कर सकते हैं तो फिर उपाय क्यों नहीं कर सकते | इसी डर का फायदा आज तक उठाया जा रहा है | आप एक अंगूठी पहन कर अपना भविष्य बदलना चाहते हैं यानि कर्म फल जो ईश्वर के इलावा कोई नहीं बदल सकता वह बदलना चाहते हैं |

ज्योतिष भविष्य की सम्भावना बताता है | पूरा करना या उस सम्भावना पर खरा उतरना या उसे होने देना या न होने देना आपके हाथ यानि कर्म पर निर्भर है वह एक उपाय से कैसे सम्भव है | आज आपको गाड़ी से सफर करते हुए गूगल मैप गंतव्य स्थान पर पहुँचने के समय की सम्भावना बताता है | वह सम्भावना आपके रास्ते और गाड़ी की गति के अनुसार और रास्ते में आने वाली रुकावटों पर आधारित होता है | रास्ता बदलते ही या गति कम या ज्यादा करते ही सम्भावित समय में परिवर्तन हो जाता है या रास्ते में आने वाली रुकावट अर्थात ट्रैफिक पर निर्भर होता है | सम्भावित समय कई बार कम या कई बार ज्यादा या कई बार बिलकुल खरा उतरता है | ठीक ऐसा ही ज्योतिष भी है | कर्म के अनुसार कम या ज्यादा या खरा हो सकता है |

ज्योतिष हमारे रोजमर्रा के जीवन में पिरोया जा चुका है | अब इसे कोई अलग नहीं कर सकता है | हमारे सब कार्य चाहे वह नए काम को शुरू करना हो या फिर शादी-ब्याह सब लग्न-मुहूर्त देख कर ही किया जाता है | जबकि ईश्वर ने सब दिन शुभ बनाये हैं | हम यहाँ ज्योतिष के बारे में कुछ भी बताने से पहले आप से यह कहना अवश्य चाहेंगे कि यदि आप ज्योतिष पर विश्वास नहीं करते हैं तो आप यह लेख पढ़ कर अपनी सोच न बदलें | आप नहीं करते हैं तो बिलकुल भी मत करिए | क्योंकि हमारी निजी राय में नास्तिक आदमी ज्यादा सच्चा और अच्छा होता है | वह कम से कम इतनी हिम्मत तो रखता है कि वह विश्वास नहीं करता | उसका विश्वास डगमगाता नहीं है | जबकि आस्तिक आदमी का विश्वास हर छोटी-सी घटना से डगमगा जाता है | वह कभी विश्वास के साथ खड़ा होता है तो कभी उसके विपरीत | हमारी निजी राय में ज्योतिष पर केवल उन्हें ही विश्वास करना चाहिए जो वर्तमान से ज्यादा भविष्य की चिंता करते हैं | ईश्वर पर विश्वास करने वाले दुःख और सुख दोनों को उसकी मर्जी समझ हर हाल में खुश रहते हैं |