चौथा भाव या घर :
चौथे घर में यदि मकर, कुम्भ, मीन, धनु, मेष, वृशिच्क, कर्क या तुला राशि हो और राहू हो तो ऐसा जातक किराये में मकान रहने वाला आश्रित होगा | अपना मकान बनने पर उसे मानसिक शान्ति मिलेगी | चौथे घर में राहू माता और पत्नी से मिलने वाले सुख में बाधा उत्पन्न करता है | ऐसे जातक को अपने सगे-सम्बन्धियों के साथ मिलकर व्यापार या कोई अन्य कार्य नहीं करना चाहिए | उसे हानि ही होगी |
केतु चौथे घर में अकेला होने पर भी इसी तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है |
पाँचवा भाव या घर :
अशुभ राशि यदि पांचवे घर में राहू के साथ हो या केतु किसी भी राशि में हो यौन सुख और सन्तान प्राप्ति में बाधक होते हैं | यदि केतु के साथ या उस पर किसी अन्य पाप ग्रह की दृष्टि हो तो गर्भपात, सन्तान में शरीरिक वकृति या अपरिपक्व मृत्यु की सम्भावना रहती है | राहू यदि दुश्मन राशि में हो तो मित्रों से धोखा, पेट-दर्द या मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है | महिला की पत्री में केतु पांचवे में होने पर वैवाहिक सुख का अभाव रहता है |
यदि राहू शुभ राशि में हो तो कम सन्तान लेकिन अच्छी शिक्षित होगी | राहू पांचवे में होने पर जातक कला या फोटोग्राफी में माहिर होगा |
छठा भाव या घर :
छठे घर में राहू या केतु होने पर जातक बहादुर होगा | ऐसा जातक अपने विरोधियों को भी अपना बना लेता है | ऐसे जातक का स्वाभाव दृढ़ होता है लेकिन इस घर में राहू कमर के दर्द का भी कारण बनता है | इस घर में केतु मामा या मामा तुल्य लोगों के लिए हानिकारक साबित होता है | लेकिन व्यापार या व्यवसाय में अच्छा फल देता है |
यदि छठे घर में दुश्मन राशि होने पर राहू या केतु दोनों ही दृष्टि सम्बन्धी रोग देते हैं | ऐसे जातक के दांत भी जल्दी खराब होने लगते हैं |
सातवाँ भाव या घर :
इस घर में यदि पहली, चौथी, आठवीं, नवीं या दसवीं राशि हो तो राहू दो विवाह का योग बनाता है और जातक की पत्नी कर्कश स्वाभाव वाली कलह-क्लेश वाली होती है | इस घर में यदि तीसरी, पांचवीं या छठी राशि हो तो विवाह या तो होता ही नहीं है या फिर काफी देर से होता है | इस घर में यदि राहू अकेला हो तो जातक कामुक स्वाभाव का होता है | राहू के साथ अन्य पाप ग्रह हों या दृष्टि रख रहे हों तो जातक छुपे रूप से पापकर्म कर सकता है |
केतु किसी भी राशि में होने पर धन-हानि तथा दाम्पत्य जीवन में कलह-क्लेश का कारण बनता है | ऐसे जातक को ज्यादात्तर साझेदारी में हानि ही उठानी पड़ती है तथा पानी (नदी, तलाब या समुंद्र) से दूर ही रहना चाहिए | बहुत जरुरी हो तो ही पानी में जायें या सफर करें |
आठवाँ भाव या घर :
इस घर में राहू या केतु होने पर जातक को जहरीले या नुकीले दांत वाले या रेंगने वाले जानवरों से दूर ही रहना चाहिए | इनका जहर जान तक ले सकता है | यदि आठवें घर में दूसरी, चौथी, आठवीं या बारवीं राशि हो और राहू इस घर में हो तो ऐसे जातक के तो पालतू जानवर भी नुकसान पहुँचा सकते हैं लेकिन आयु पर कोई खतरा नहीं होता और दीर्घायु होता है |
इस घर में राहू या केतु अकेले होने पर यौन रोग होने का खतरा बना रहता है | महिला जातक को प्रसव कष्ट काफी उठाना पड़ता है | जवानी के अंतिम पड़ाव में जातक अध्यात्म की ओर झुक जाता है |