ज्योतिष – 10

दोस्तों, जैसा कि हमने पिछले भाग में कहा था कि अब फलित ज्योतिष विस्तार से शुरू होगा | अतः आज सबसे पहले राशि और उनके स्वामी को विस्तार से समझते हैं |

दोस्तों, अगले कुछ भागों में हम ग्रह,राशि और भाव के स्वाभाव, कारक और उससे क्या विचार करते हैं वह बताएंगे | हमारा आपसे अनुरोध है कि आप इन्हें पढ़ कर याद करें | लेकिन इन्हें पढ़ कर अपनी कोई राय न बनाएं | क्योंकि यह सामान्य विचार हैं | किसी भी जातक की कुंडली देखते हुए जब तक हम पूरी कुंडली के भाव, राशि या ग्रह का आंकलन नहीं कर लेते तब तक भविष्य का विचार या घोषणा करना पूर्णतः गलत होगा | अतः एक भाव या ग्रह या राशि के बारे में जो भी लिखा या कहा गया है उस पर अपनी कोई राय न बनाएं | पूरी कुंडली को देख कर ही कोई भी घोषणा करनी चाहिए | आगे लिखी जाने वाली बातें किसी जातक विशेष पर सही साबित भी हो सकती हैं | क्योंकि वह राशि या भाव या ग्रह उसकी कुंडली में प्रबल हो सकता है लेकिन सब ग्रह या भाव या राशि के बारे में कही बातें साबित नहीं होंगी | अतः पूरी सावधानी बरतें और कुंडली के हर भाव, ग्रह और राशि का आंकलन करने के बाद ही कुछ कहें |

ज्योतिष में हर राशि अपने स्वामी ग्रह के गुण या दोष को स्वतः ही ग्रहण कर लेती है | आइये इसे समझते हैं |

मंगल ग्रह – इस ग्रह का गुण है |  गर्म स्वभाव का लड़ाका, धेर्यहीन, झगड़ालू, अपने फैसले पर अडिग रहने वाला, अच्छी कद-काठी का सैनिक की तरह चुस्त, अपमान और यातना सहने वाला अनुशासित सैनिक जो बाहर कुछ नहीं दिखाता, चाहे अंदर कितना भी गुस्सा उबल रहा हो | लेकिन जब उसके सब्र का बाँध टूटेगा तो वह पूर्ण वेग से टूट पड़ेगा | फिर वह ये नहीं सोचेगा कि सामने वाला कौन है |

मेष राशि –  मेष राशि, बारह राशियों में पहली राशि है और इसका स्वामी मंगल है | आइये अब मंगल ग्रह के गुण इस राशि में शामिल कर इस राशि का स्वाभाव जानने की कोशिश करते हैं |

मेष राशि का जातक – आनुशासित, दृढ़ एवं नमन स्वभाव, अच्छी कद-काठी का सैनिक की तरह चुस्त, जल्द ही गुस्साने वाला, उतावले स्वभाव का होगा | वह ज्यादा समय अनिश्चितता की स्थिति में रहने वाला न होगा | फैसला अच्छा हो या बुरा लेकिन जल्द हो ऐसे स्वाभाव का स्वामी होगा |

वृश्चिक राशि – यह आठवीं राशि है और इसका स्वामी भी मंगल है | इसका स्वाभाव मेष राशि से कुछ अलग है | मेष राशि में मंगल के अच्छे गुण है और इस राशि में मंगल के सब अवगुण हैं |

इस राशि का जातक – झूठा, कपटी, धोखेबाज, जालसाज, झांसेबाज, ड्रामेबाज, घमंडी, जहरीला जिसका डंक या जहर बहुत कष्टदायक होता है | धोखा देना, ठगना और सताना इनके खून में शामिल होता है | हर बात को गुप्त रखना और बेवजह डींग हाँकना और दूसरे की सफलता से चिढ़ना इनके स्वाभाव में शामिल है | यह सफलता पाने के जनून में किसी भी हद तक गिर सकते हैं |

शुक्र ग्रह – इस ग्रह को प्रेम की देवी कहा जाता है | ऐसे जातक प्रेमालाप, गीत-संगीत, आभूषण, श्रृंगार, नृत्य, ऐशोआराम भरा जीवन, मदिरापान, देर रात तक घूमना-फिरना, मिष्ठान, चटपटे भोजन और यात्राएँ करने के लिए हर समय लयलीत रहते हैं | इन्हें इन सब पर धन-व्यय करना अच्छा लगता है | यह जीवन को अपने ऐशोआराम में बिताने के इच्छुक होते हैं | फिर चाहे उसके लिए पैसा खर्च हो या शरीरिक क्षमता, उन्हें किसी भी बात की कोई चिंता नहीं होती है | ऐसे जातक पैसे की कमी या सादगी भरे जीवन में घुटन महसूस करते हैं |

वृषभ और तुला राशि – वृषभ दूसरी और तुला सातवीं राशि है और इन दोनों राशियों का स्वामी शुक्र है | अतः इन दोनों राशियों के जातक में लगभग उपरोक्त लिखे शुक्र के गुण व् अवगुण दोनों मिलेंगे | दोनों राशियों में लगभग समानता है | फर्क न के बराबर है | वृषभ में शुक्र के लगभग सारे गुण होंगे और तुला में थोड़े कम होंगे |

बुध ग्रह – यह ग्रह चूँकि सूर्य के बहुत पास होता है | इसलिए इसे निष्पक्ष और निस्तेज ग्रह माना गया है | अतः बुध-जातक को समझ पाना बहुत मुश्किल है | ऐसा जातक अपने फायदे या व्यक्तिगत लाभ की बात ही सोचेगा और उसके लिए अपने फैसले कभी भी बदल सकता है | ऐसा जातक हमेशा दूसरे को अँधेरे में रखेगा | वह अपने मन की बात कभी किसी को बताने की इच्छा जाहिर नहीं करेगा | ऐसे जातक के चेहरे पर हमेशा मुस्कराहट रहती है | चाहे वह सामने वाले से अंदरूनी रूप से कितना भी क्रुद्ध हो या प्रतिशोध की भावना रखता हो | ऐसे जातक हर बात को लाभ-हानि के तराजू पर तोलते हैं | ऐसे जातक ज्यादात्तर वकील, बीमा, जन-सम्पर्क या व्यापार में कार्यरत होते हैं |

मिथुन और कन्या राशि – मिथुन तीसरी और कन्या छठी राशि और इन दोनों राशियों का स्वामी बुध है | इन दोनों राशियों में उपरोक्त लिखे गये बुध के गुण विद्यमान होते हैं | मिथुन में कुछ कम और कन्या राशि में कुछ ज्यादा होते हैं | इन दोनों राशियों के जातक किसी को अपना नहीं बना पाते हैं या विश्वास नहीं कर पाते हैं | क्योंकि उन में उपरोक्त लिखे जो अवगुण होते हैं वह दूसरे में भी वही देखते हैं |  दोनों राशियों के जातक में एक फर्क और होता है | मिथुन राशि के जातक कम या मध्यम डीलडौल के होते है और कन्या राशि के जातक स्थूलकाय होते हैं |