चन्द्र ग्रह – शांत ग्रह माना जाता है | इस ग्रह को मन या मस्तिष्क का ग्रह माना गया है | ऐसा जातक क्षमाशील, न्यायप्रिय, दयालु, शान्ति प्रिय, मिलनसार स्वाभाव का होता है |
कर्क राशि – कर्क चौथी राशि है और इस राशि वाले जातक में उपरोक्त सारे गुण चन्द्र ग्रह के होते हैं | ऐसा जातक दुश्मन को भी क्षमा करने का हौंसला रखता है | सीधा-साधा जीवन और सोच रखने वाला होता है | ऐसे जातक को बहुत आसानी से फुसलाया या बेवकूफ बनाया जा सकता है क्योंकि वह हर किसी पर बहुत जल्दी से भरोसा कर लेता है | ऐसे जातक धीरे-धीरे प्रगति करते हैं लेकिन ज्यादात्तर समृद्ध होते हैं | ऐसे जातक में चन्द्र के साथ-साथ बृहस्पति के भी गुण विद्यमान होते हैं | इसी कारण ऐसे जातक उदारवादी, व्यापक दृष्टिकोण वाला होता है |
सूर्य ग्रह – जीवनदाई सूर्य ग्रह कुंडली में भी इसी प्रकार का होता है | ऐसा जातक तेजस्वी होता है | उसे रक्त विकार न के बराबर होते हैं | वह राजसी प्रकृति का जातक होता है | ऐसा जातक अपमान सहन नहीं कर पाता है | उसे उदासीनता पसंद नहीं होती है | वह हर जगह अपनी इज्जत करवाना चाहता है | ऐसा जातक शिष्टाचार पसंद करता है |
सिंह राशि – सिंह पाँचवीं राशि है और इसका स्वामी सूर्य होता है | अतः इस राशि में उपरोक्त सारे गुण होते हैं | इसी कारण ऐसे जातक सम्मान, सम्पत्ति एवं आदर-सत्कार में विश्वास रखने के साथ-साथ दूसरे से भी ऐसी ही उम्मीद करते हैं | इन्हें अपने आसपास चापलूस लोग बहुत पसंद होते हैं | इसी कारण यह बहुत जल्दी बहकावे में आ जाते हैं | इज्जत न होने पर या कई बार बिना बात के भी बहुत जल्दी भड़क/गुस्सा हो जाते हैं | लेकिन इन्हें चापलूसी कर बहुत जल्दी ही शांत भी किया जा सकता है | ऐसे जातक कई बार जल्दी क्षमा नहीं करते हैं | ऐसे जातक ज्यादात्तर हठी स्वाभाव के होते हैं |
बृहस्पति ग्रह – इस ग्रह को गुरु भी कहा जाता है | अतः ऐसे ग्रह के जातक में गुरु की तरह के गुण आने स्वाभाविक ही हैं | जैसे, ऐसे जातक ज्यादा पढ़े-लिखे व् तेज बुद्धि वाले होते हैं | इनके व्यवहार में सत्यवादिता, क्षमाभाव, सहायता करने को तत्पर, आदर्शवादी, बड़ो के प्रति क्षद्धाभाव, उच्च विचार और साधारण जीवन यापन करने के गुण विद्यमान होते हैं |
धनु और मीन राशि – नवीं और बारहवीं राशि का स्वामी बृहस्पति है और इन दोनों ही राशियों में बृहस्पति ग्रह के गुण विद्यमान होते हैं | बृहस्पति के उपरोक्त गुण धनु में थोड़े ज्यादा और मीन में थोड़े कम होते हैं | ऐसे जातक भरोसे लायक होते हैं | वह सपने में भी किसी का बुरा नहीं चाहते हैं | ऐसे जातक को तड़क-भड़क वाला जीवन पसंद नहीं होता है | ये सादा जीवन और उच्च विचार रखने में विश्वास रखते हैं | इन्हें जीवन में सुख सुविधाओं पर खर्च करना पसंद नहीं होता है | इन्हें छल-कपट और झूठ से बहुत नफरत होती है | ये चापलूसी पसंद नहीं करते हैं | इन्हें बेख़ौफ़ सच बोलना और सुनना पसंद होता है | ऐसे जातक शारीरिक और मानसिक शुद्धता में विश्वास रखते हैं तथा कठोर परिश्रम करने से घबराते नहीं हैं | ऐसे जातक से सलाह-मशविरा किया जा सकता है | वह हमेशा दूसरे को प्रोत्साहित करते हैं |
शनि ग्रह – शनि ग्रह, सूर्य से दूर होने के कारण ठंडा ग्रह माना जाता है | और इसी कारण इसे निस्तेज, उदास ग्रह भी कहा जाता है | लेकिन इसके जातक का स्वाभाव उग्र और सनकी होने के साथ ही साथ निरशावादी भी होता है | इसके जातक को बेवजह अथक प्रयास करना पड़ता है लेकिन वह अपना धैर्य नहीं छोड़ता है | ऐसे जातक कठोर और क्रूर होते हैं | ऐसे जातक गंभीर प्रवृति के होते हैं |
मकर व कुम्भ राशि – दसवीं और ग्यारहवीं राशि का स्वामी शनि है | इन दोनों राशियों में शनि के गुण विद्यमान होते हैं लेकिन मकर राशि में यह गुण नकरात्मक भाव लिए होने के साथ-साथ दुःख पहुँचाने वाले होते हैं | जबकि कुम्भ राशि में शनि के सकारात्मक भाव होने के साथ ही साथ नकरात्मक भाव भी होते हैं | अतः हम कह सकते हैं कि मकर राशि में शनि या कोई भी अन्य ग्रह होने पर ज्यादात्तर दुःख ही मिलता है | जबकि कुम्भ राशि में दोनों भाव का समागम होता है | कुम्भ राशि वाला जातक लोभी, स्वार्थी, क्रूर, सुस्त, भाग्यहीन होता है | लेकिन इस राशि में गहन विचारक या चिन्तक प्रकृति के जातक बहुत विद्वान होते हैं | वह एकांतवास व कम बोलना पसंद करते हैं | ऐसे जातक अपमान को ख़ुशी-ख़ुशी झेल लेते हैं लेकिन मन से नहीं निकालते हैं | समय आने पर बदला जरूर लेते हैं | वह समाज के अनुरूप चलने वाले नहीं होते हैं | कुम्भ राशि के जातक मकर राशि की तरह भाग्यहीन नहीं होते हैं | ऐसे जातक विचारक, दार्शनिक या अविष्कारक भी हो सकते हैं |