ज्योतिष 27 नक्षत्र, 7 ग्रह और 2 छाया ग्रह (राहू,केतू) और 12 घर या खाने या HOUSE पर केन्द्रित एक ऐसा दिव्य ज्ञान है जिसे साइंस भी कहना कम लगता है | ज्योतिष के बारे में कहा जाता है कि ये हमारे पिछले जन्म के कर्मों का फल है | जिसे हम इस जन्म में भुगतते हैं | अब वो फल अच्छा हो या फिर बुरा | हाँ, इस में एक और बात शामिल है | और वह है कि इस जन्म में पिछले जन्मों का फल भुगतते हुए हम इस जन्म में जो कर्म कर रहे हैं वह थोड़ा-बहुत और कभी-कभी बहुत ज्यादा पिछले जन्मों के कर्म फल को बदल भी देते हैं | यही कारण है कि कभी-कभी पत्री में लिखे कर्म फल हम पर उस तरह फलित नहीं होते जिस तरह होने चाहिए |
इसे हम इस तरह भी समझ सकते हैं | यदि कोई व्यक्ति भारतवर्ष चालीस साल के अंतराल के बाद फिर से भारत आता तो वह भारत में आये परिवर्तन को देख दंग रह जाता | बीस साल में हर गाँव-शहर में बहुत कुछ बदला है | यह बदलाव समय और कर्म से आया है | हम अपनी जिन्दगी में नदी की तरह बहते ही रहते हैं | इससे आप समझ सकते हैं कि क्यों आप के द्वारा किये कर्म या उसके फल जन्मपत्री में लिखे कर्म या उसके फल से कई बार पूरी तरह और कई बार आंशिक रूप से मेल नहीं खाते हैं |
विज्ञान के अनुसार ‘फलित ज्योतिष यानि predictive astrology या पिछला जन्म या पिछले जन्म के कर्म फल’ एक कोरी कल्पना है | विज्ञान आज में जीता है वह भूतकाल में विश्वास नहीं करता है | जबकि दूसरी ओर विज्ञान ही यह कहता है कि आज आप जो करेंगे उसका फल आने वाली पीढ़ी भुगतेगी | प्रकृति से खिलवाड़ इसका एक उदाहरण है | वह जींस के बारे में जब बताते हैं तो वह भी तो हमें पिछली पीढ़ी से ही तो मिलता है | लेकिन जैसे ही बात ज्योतिष की आती है विज्ञान उसे सिरे से नकार देता है |
विज्ञान ने पिछले तीन-चार सौ साल में काफी तरक्की की है | इसमें कोई शक नहीं है कि ज्योतिष ने भी पिछले तीन-चार सौ साल में काफी तरक्की की है | बस विज्ञान और ज्योतिष विज्ञान में फर्क इतना है कि विज्ञान ने ऊपर की ओर तरक्की की है और ज्योतिष ने नीचे की ओर तरक्की की है | आज ज्योतिष सड़क पर आ गया है | जो इस विज्ञान को आने वाले कुछ साल में किताबों तक ही सीमित कर देंगे |
ज्योतिष का आज ये हाल उन पैसे के लोलुप लोगों ने किया है जो इससे लोगों को बेवकूफ बना कर पैसा ऐठना तो जानते थे लेकिन इस विज्ञान में किसी भी तरह की कोई खोज नहीं करना चाहते थे | पिछले लगभग दो सौ साल में तो इस विज्ञान का बहुत ही बुरा हाल हुआ है | आज पचास सौ रुपये की किताब पढ़ लोग ज्योतिष विद्या का मजाक बना रहे हैं | बाकि बचा-कुचा हाल आज का मिडिया कर रहा है | हाँ, यहाँ यह बताना जरूरी है कि पिछले बीस-पचीस साल में कुछ संस्थान और लोग आगे अवश्य आयें हैं जो इस विज्ञान को बचाने, इसमें नई विधाएं जोड़ने और आगे इसमें अनुसन्धान करने का कार्य कर रहे हैं | उनका यह प्रयास बहुत ही सराहनीय है |
ज्योतिष के बारे में कहा जाता है कि यह बिलकुल बेकार, झूठी और लोगों को बेवकूफ बनाने की विद्या है | दोस्तों, मैं ऐसी राय रखने वालों से पूर्णतः सहमत हूँ | क्योंकि आज जो इस ब्रह्म विद्या का हाल है उससे उन लोगों का ये कहना बिलकुल जायज है | आज इस विद्या का प्रयोग केवल पैसा ऐठने और बेवकूफ बनाने के लिए ही किया जा रहा है | रोज नए से नए झूठ और डर फैलाए जा रहे हैं | ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग डर कर इस पर विश्वास करें | और हैरानी की बात यह है कि इनके झूठ और डर से सबसे ज्यादा प्रभावित वर्ग पढ़ा-लिखा और धनवान है | तभी तो हर गली नुक्कड़ पर आपको एक ज्योतषी मिल जाएगा | आपको हर मंदिर में कुंडली देखता पंडित मिल जाएगा | आप कैसे जानते हैं कि मंदिर में कर्म-काण्ड करने वाला ब्राह्मण ज्योतिष जानता होगा | लेकिन आप बिना-जाने बूझे उसे कुंडली दिखाने पहुँच जाते हैं | इसमें आपका दोष है या फिर उस ज्योतिष विद्या का, आप ही फैसला कीजिये |
पिछला जन्म कुछ नहीं होता है | ऐसी कोई विद्या नहीं है जो हमें पूर्व जन्म में किये कर्मों का लेखा-जोखा बता सके | अगर आप भी ये राय रखते हैं तो इसका मतलब है कि आप श्री कृष्ण की गीता के ज्ञान पर विश्वास नहीं रखते हैं | गीता, कर्म और कर्म फल के बारे में ही तो बताती है | आप बार-बार मंदिर में जाकर क्यों दुआ मांगते हैं कि ईश्वर मेरे बुरे कर्मों का फल मुझे या मेरे परिवार को मत देना | आपने तो कभी ईश्वर को देखा नहीं है या मंदिर में जिन की भी मूर्तियाँ लगी हैं आपने तो उन को भी कभी देखा नहीं है | फिर आप उनसे अच्छे की गुहार क्यों लगाते हैं | जब आप उस अदृश्य शक्ति में विश्वास रखते हैं तो आप कुछ ऐसे की उम्मीद करते हैं जो लेख में मेख मिला दे | ऐसे में आपको फिर ज्योतिष में भी विश्वास रखना ही चाहिए वो भी कुछ ऐसा ही बताता है | ज्योतिष सिर्फ आपके कर्मों का लेखा-जोखा ही तो आपको बताता है | जब भगवान या ईश्वर सच है तो फिर ज्योतिष कैसे झूठ हो सकता है |
*आपको मालूम ही है कि धरती अपनी धुरी पर चक्कर लगाने के इलावा सूर्य का चक्कर भी लगा रही है और क्योंकि सूर्य आकाश-गंगा का चक्कर लगा रहा है अतः धरती भी आकाश-गंगा का चक्कर लगा रही है | धरती अपनी धुरी पर एक चक्कर चौबीस घंटे में पूरा करती है और इस कारण हर चौबीस घंटे बाद फिर से दिन निकल आता है | वह सूर्य का चक्कर लगाते हुए आगे बढ़ रही है इसीलिए हर महीने वही तारीख आती है जो पिछले महीने थी | और जब वह सूर्य का एक चक्कर लगा लेती है तो फिर वही महीने आते हैं लेकिन साल आगे बढ़ जाता है और आप एक साल बड़े हो जाते हैं | इस पूरे ब्रह्माण्ड को देखें तो वह गोल-गोल घूम रहा है यानि जहाँ से पहले निकले थे वही वापिस तो आ जाते हैं लेकिन समय बदलने के कारण हमारी उम्र और जगह बदल जाती है | दोस्तों, इन सब के चक्कर लगाने की वजह से ही आपके जीवन में मिन्ट-घंटे, दिन-रात, तारीख, महिना और मौसम बार-बार आते हैं | इस बात पर आपको कोई शक-शुभा नहीं होता | लेकिन जब ये कहा जाता है कि आपके द्वारा किये कर्म का फल भी वापिस आएगा तो इस पर आपको शक क्यों हो जाता है ?**
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ज्योतिष के बारे कहा जाता है कि इसमें लिखा है कि धरती के इलावा सब ग्रह चलते हैं और इसमें सूर्य को केंद्र में न मानकर धरती को हमारे सौर मंडल के केंद्र में बताया गया है | राहू और केतु को ग्रह कहा जाता है जबकि ऐसा कोई भी ग्रह हमारे सौर मंडल में है ही नहीं | अतः यह विद्या सचमुच ही बहुत पिछड़ी हुई और गलत है | इसे विद्या भी कहना गलत होगा | उपरोक्त बातें बिलकुल ठीक हैं | ज्योतिष में धरती के इलावा सब ग्रह चल रहे हैं और धरती हमारे सौर मंडल के केंद्र में हैं तथा राहू और केतु को ग्रह बताया गया है | विज्ञान के मतानुसार राहू केतु नामक कोई भी ग्रह नहीं हैं यह भी सच है | लेकिन ज्योतिष में भी इन्हें छाया ग्रह बताया गया है और आज का विज्ञान भी कहता है कि 180 डिग्री पर धरती की छाया पड़ती है जो आभास देती है कुछ होने का | अब बताइए कि ज्योतिष में अगर इन्हें छाया ग्रह बोला गया है तो क्या गलत कहा है | अब आइए दूसरी बात पर कि धरती केंद्र में है और सूर्य चल रहा है | दोस्तों, जब हम धरती पर खड़े हो कर आसमान में देखेंगे तो यही लगता है कि सूर्य और सब ग्रह चल रहे हैं और हमारी धरती खड़ी है | क्योंकि हमें धरती के चलने का एहसास तक नहीं होता है | हम भी तो कहते हैं कि सूर्य पूर्व से निकला और पश्चिम में अस्त हो गया है | अब आप ही बताइए कि ज्योतिष में क्या गलत लिखा है | ज्योतिष में सब ग्रहों के बारे में वह लिखा है जैसा आप धरती पर खड़े हो कर आसमान में देखते हैं |
ज्योतिष में ग्रह रुक भी जाते हैं और वापिसी (वक्री हो जाते हैं) भी करते हैं जबकि विज्ञान के अनुसार यह बिलकुल गलत है | यह बात भी बिलकुल ठीक है और ज्योतिष में ऐसा कहा जाता है | इसमें भी ऊपर कही बात लागू होती है कि धरती पर खड़े हो कर ऐसा एहसास तब होता है जब कोई ग्रह अंडाकार सौरमंडल के बिलकुल दूर सिरे पर पहुँच जाता है | तब धरती पर खड़े हो कर ऐसा एहसास होता है कि कुछ समय के लिए वह ग्रह रुक गया है और फिर वापिसी कर रहा है | क्योंकि ग्रह किसी सड़क पर नहीं चल रहा है जो हमें धरती से दिखे | अतः जो धरती से दिखता है उसे ही ज्योतिष में लिखा गया है |
दोस्तों, अगले भाग में हम बताएँगे कि धरती से जैसा दिखता है वैसा ज्योतिष में क्यों शामिल किया गया है | इसके इलावा आपके भी यदि कोई प्रश्न (व्यक्तिगत नहीं) ज्योतिष में फैले भ्रम के बारे में हैं तो अवश्य भेजें |